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महाकाल में भस्म आरती के दौरान पुरानी व्यस्था लागू , अब नहीं की जारही है कपडा लपेटकर भस्म आरती


सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका के बाद जिओलोजिकल सर्वे ऑफ़ इण्डिया और पुरातत्व विभाग की टीम ने आकर शिवलिंग की जांच की थी जिसकी रिपोर्ट में कहा गया था की रोज भस्मी चड़ने से भी शिव लिंग का क्षरण होरहा है , रिपोर्ट के आधार पर मंदिर समिति ने पहले निर्णय लिया था की भस्मी चड़ने के दौरान शिव लिंग को ढांक दिया जाए ये नियम कुछ दिन तक चला लेकिन अब दो दिन पहले से  भस्मी चडाने वाले संतो ने इस पर आपत्ति ली है और कहा है की वर्षो पुरानी परम्परा को नहीं बदला जा सकता है , जिसके बाद से पिछले दो दिनों से बिना कपडे से शिवलिंग को ढके बिना ही भस्मी चडाई जा रही है .  शिवलिंग क्षरण रोकने को लेकर कोर्ट में मंदिर समिति ने उपाय लिख कर दिए थे । भविष्य में कोई नुकसान ना हो इसे देखते हुए शिवलिंग पर अब चारों और कपड़ा लपेटकर ही भस्मी चढ़ने देंगे लेकिन हाल ही में जब कोर्ट को सुनवाई के दौरान यह बताया कि जो व्यवस्था लागू की है वह कोर्ट आदेश पर की है। इस आशय के मंदिर में बोर्ड भी लगे हैं तो कोर्ट ने समिति को फटकार लगाते हुए बोर्ड हटाने के निर्देश देकर स्पष्ट किया था कि कोर्ट का धार्मिक पूजा पद्वति से कोई लेना देना नहीं है। इस संबंध कोई निर्देश भी नहीं दिए हैं। समिति ने बोर्ड हटाकर स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था कोर्ट के निर्देश पर नहीं समिति द्वारा ही की गई है। इसके बाद से ही भस्मारती में शिवलिंग पर पूरा कपड़ा नहीं ढका जा रहा है। भस्मी चढ़ाने वाले महन्त प्रकाशपुरी महाराज से जब मीडिया ने चर्चा करना चाही तो उन्होंने फिलहाल कुछ भी बोलने से इनकार कर इतना ही कहा कि उन्हें कुछ नहीं मालूम, जो भी चल रहा है नियम से है। 

 

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