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चने के लिये भूमि की तैयारी


 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार चने की खेती क्षारीय भूमि के अतिरिक्त सभी प्रकार की मध्यम से
भारी भूमि में की जा सकती है। भूमि का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिये। खरीफ फसल
को कटाई के बाद आवश्यकता अनुसार पलेवा देकर खेत की तैयारी की जाये। एक गहरी जुताई के बाद
एक-दो हल्की जुताई भी की जाना चाहिये। यह ध्यान रखा जाये कि मिट्टी को महीन न की जाये।
छोटे ढेले वाली जमीन चने के लिये उपयुक्त होती है। नमी संरक्षण के लिये पाटा अवश्य चलाया जाये।
चने की खेती करने के पहले भूमि का उपचार आवश्यक है। भूमि उपचार के लिये दीमक व कटवा कीट
से बचाव के लिये क्यूनालफॉस से भूमि का उपचार करने की सलाह दी गई है।

बीज की मात्रा

चने की अच्छी उपज के लिये तीन से साढ़े तीन लाख पौधे प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती
है। इसके लिये प्रति वर्गमीटर क्षेत्र में 30 से 35 पौधे होना आवश्यक है। चने के लिये प्रति हेक्टेयर 75
से 80 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीज प्रमाणित एवं उन्नत किस्म का हो तथा विश्वसनीय
संस्थान से खरीदा जाये। किसान भाई बुवाई से पहले बीज अंकुरण का परीक्षण अनिवार्य रूप से कर
लें। सौ दाने उगाकर 85 प्रतिशत न्यूनतम अंकुरण होना आवश्यक है। बीज लेते समय किसानों को फर्म
का पक्का बिल लेना चाहिये। किसानों की सलाह दी गई है कि चने की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन
हेतु राइजोबियम एवं पीएसबी प्रत्येक की 5 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

बुवाई का समय

असिंचित अवस्था में चने की बुवाई अक्टूबर माह के द्वितीय सप्ताह तक कर देना चाहिये।
बुवाई में अधिक विलम्ब करने पर पैदावार कम आती है तथा फसल में चना फलीभेदक कीट का प्रकोप
होने की संभावना भी रहती है। अत: अक्टूबर का प्रथम सप्ताह चना की बुवाई के लिये सर्वोत्तम होता
है। बुवाई करते समय क्षेत्रवार सुझाई गई रोग प्रतिरोधी प्रजातियां एवं प्रामाणिक बीजों का चुनाव उचित
मात्रा में करना चाहिये। खेत पूर्व फसलों के अवशेषों से मुक्त होना चाहिये। इससे भूमिगत फफूंदों का
विकास नहीं होता है। समुचित नमी में सीडड्रिल से बुवाई की जाना चाहिये। पौध संख्या 25 से 30
वर्गमीटर के हिसाब से बोवनी होना चाहिये। खेत में नमी कम हो तो बीज को नमी के सम्पर्क में लाने
के लिये बुवाई गहरी की जाना चाहिये तथा पाटा लगाना चाहिये। पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी
तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखी जाये।
बीज दर

चने की बीज की मात्रा दोनों के आकार, बुवाई के समय विधि एवं भूमि की उर्वरा शक्ति पर
निर्भर करता है। देशी दानों वाली किस्मों का बीज 65 से 75 किलोग्राम प्रतिहेक्टेयर, मध्यम दानों
वाली किस्म का 75 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिये। काबुली चने की किस्मों का बीज
100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई की जानी चाहिये।
खाद व उर्वरक

बुवाई से 4-5 सप्ताह पूर्व गोबर, भूनाडेप एवं नोडप की खाद 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देना
चाहिये। गोबर की खाद न हो तो वर्मी कम्पोस्ट 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देना चाहिये। बुवाई से पहले
प्रति हेक्टेयर 375 किलो सिंगल सुपर फास्फेट या 40 से 45 किलो यूरिया एवं पोटाश के लिये 30 से
35 किलो म्युरेट ऑफ पोटाश देना चाहिये। गंधक की कमी वाले क्षेत्र में 20 किलो गंधक, जिप्सम
250 किलो प्रति हेक्टेयर देने से उत्पादन में वृद्धि हो जाती है। उर्वरक को बीच के नीचे देना चाहिये।
यह बीज के 3-4 सेमी नीचे रहना चाहिये।

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