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पं. भातखण्डे का शास्त्रीय संगीत में अविस्मर्णिय योगदान


उज्जैन @  मंगलवार की संध्या को कालिदास अकादमी के पं. सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में मध्यप्रदेश शासन संस्कृति संचालनालय भोपाल एवं शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में पं. विष्णु नारायण भातखण्डे स्मृति संगीत प्रसंग आयोजित किया गया।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू थे।  इस समारोह की अध्यक्षता श्री महेश खण्डेलवाल ने की।  अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम माँ सरस्वती व पं. भातखण्डे के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन संगीत महाविद्यालय के सितार विभाग की सहायक व्याख्याता सुश्री विनिता माहुरकर द्वारा किया गया।  पं. विष्णुनारायण भातखण्डे के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि पं. भातखण्डे का शास्त्रीय संगीत में अविस्मर्णिय योगदान रहा है।  वे शास्त्रीय संगीत के सबसे श्रेष्ठ आचार्यों में से एक रहे हैं।  उन्होंने शास्त्रीय संगीत को वैज्ञानिक पद्दती से जोड़ने का भी अतुलनीय प्रयास किया है।  पं. भातखण्डे ने पूरे देश में भ्रमण कर संगीत की विभिन्न कलाओं में पारंगत विद्वानों से भेंट की और कला का संग्रह किया। 

इसके पश्चात शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना एवं पं. भातखण्डे गीत प्रस्तुत किया गया।  वंदना के बाद मुंबई से आयी कलाकार सुश्री सुचिस्मिता व सुश्री देवोप्रिया द्वारा बांसुरी वादन किया गया।  तबले पर संगती श्री हितेन्द्र दीक्षित द्वारा दी गई। कार्यक्रम में बताया गया कि इन दोनों कलाकार बहनों का जन्म इलाहबाद के विख्यात संगीत परिवार में हुआ ।  इन दोनों को पं. हरिप्रसाद चौरसिया की शिष्या होने का भी गौरव प्राप्त है।  इन्होंने शास्त्रीय संगीत में डीएम और यूएम की डिग्री प्राप्त की है।  आकाशवाणी मुंबई में भी बतौर कलाकार कार्य किया है तथा विभिन्न देशों में कई प्रस्तुतियां दी हैं। खास बात यह है कि ये दोनों एक मात्र महिला बांसुरी वादक हैं। 

कार्यक्रम में इनके द्वारा बांसुरी वादन करते हुए राग आलाप जोड़, रूपक ताल और तीन ताल आदि की प्रस्तुति दी गई।  इसके पश्चात उज्‍जैन के श्री सतीश-विजय गोथरवाल द्वारा स्वर लय ताल का अंतरभाव 'त्रिवीद्' प्रस्तुत किया गया।

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