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टाॅप ग्रेंड सारंगी वादक उस्ताद मोईनुद्दीन खान हुए अलविदा



उज्जैन। टाॅप ग्रेंड सारंगी वादक एवं दूरदर्शन आकाशवाणी केन्द्र इंदौर से
सेवानिवृत्त मूर्धन्य कलाकार उस्ताद मोईनुद्दीन खान का 12 सितंबर को निधन
हो गया।
सारंगी शिष्य पंकज पांचाल के अनुसार सीकर जिले के कोटडा गांव में उस्ताद
मोईनुद्दीन खान का जन्म 1929 में हुआ था। अपने पिता उस्ताद सादी खां जो
खेतड़ी दरबार के दरबारी सारंगी थे उनसे सारंगी की शिक्षा प्राप्त कर 17
वर्ष की उम्र से अपना सारंगी वादन का सफर आकाशवाणी बड़ौदा से प्रारंभ
किया। आपने देश के सभी बड़े कलाकार उस्ताद बड़े गुलाम अली, उस्ताद अमीर
खां, उस्ताद फैयाज खां, उस्ताद नजाकत सलामत अली, हीराबाई बड़ोदकर, मलिक
अर्जुन मंसूर, राजगुरू, प्रभा अत्रे, किशोरी अमोनकर, परवीन सुल्ताना, पं.
भीमसेन जोशी आदि कलाकारों के साथ संगत की। हिंदुस्तान के अलावा फ्रांस,
जर्मनी, लंदन, केनाड़ा, बेलजियम, अमेरिका में अपना सफल सारंगी वादन
प्रस्तुत कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के अमेरिकन म्यूजियम आॅफ
नेचुरल हिस्ट्री ने तो आपको ‘स्वर का फरिश्ता’ के खिताब से विभूषित किया
है। अमेरिका की ओकलाहमा यूनिवर्सिटी में मोईनुद्दीन खान भारतीय शास्त्रीय
संगीत की छात्रों को बारिकीयों से परिचित कराया है। हाल ही में संगीत
रिसर्च एकेडमी गवर्मेन्ट आॅफ वेस्ट बंगाल ने मोईनुद्दीन खान को लाईफ टाईम
अचिवमेंट अवार्ड एंड अवार्ड र्फार नाॅर्थ इंडियन क्लासिक म्यूजिक से
सम्मानित किया। वहीं अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी द्वारा लतीफ खां
पुरस्कार से भी मोईनुद्दीन खान विभूषित किया जा चुके हैं। आकाशवाणी इंदौर
से सेवानिवृत्त हुए और वहीं के होकर रह गये।

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