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सड़क बनी ही नहीं और अधिकारियों ने ठेकेदार को भुगतान करवा दिये सवा 4 लाख


उज्जैन। वार्ड क्रमांक 47 अंतर्गत साईनाथ एवं सार्थनगर में सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां सड़क निर्माण हुआ ही नहीं और अधीक्षण यंत्री ज्ञानेन्द्रसिंह जादौन तथा उपयंत्री राजेशसिंह चैहान ने 4 लाख 26 हजार का भुगतान नगर निगम से ठेकेदार को करवा दिया। मामला तब सामने आया जब सामाजिक कार्यकर्ता धनराज गेहलोत के द्वारा सूचना के अधिकार 2005 के अंतर्गत प्रमाणिक प्रतिलिपि नगर पालिका निगम से प्राप्त की। धनराज गेहलोत के अनुसार वार्ड क्रमांक 47 के अंतर्गत साईनाथ एवं सार्थक नगर पर सीमेंट कांक्रीट का निर्माण कार्य वर्क आॅर्डर क्रमांक 3896 दिनांक 29.9.2016 को अधीक्षण यंत्री ज्ञानेन्द्रसिंह जादौन द्वारा 4 लाख की स्वीकृति की गई थी। उक्त निर्माण कार्य को झान 6 एवं वार्ड 47 के उपयंत्री राजेशसिंह चैहान के द्वारा कराया जाना था लेकिन उक्त क्षेत्र में सीमेंट कांक्रीट का निर्माण कार्य हुआ ही नहीं एवं उसका भुगतान संबंधित उपयंत्री राजेशसिंह चैहान, अधीक्षण यंत्री ज्ञानेन्द्रसिंह जादौन के द्वारा एम.बी. क्र. 691/2016 के पृष्ठ क्र. 01 से 3 पर 4 लाख 26 हजार का भुगतान बिना निर्माण किये ही संबंधित ठेकेदार मेसर्स महाकाल सप्लायर्स 43/12 रविशंकरनगर को वर्क आॅर्डर 12.1.2017 को चेक द्वारा भुगतान कर दिया गया। उक्त भुगतान जो कि निर्माण कार्य वर्क आॅर्डर में दर्शाये स्थान पर किया ही नहीं गया उसका भुगतान संबंधित उपयंत्री, अधीक्षण यंत्री एवं क्षेत्रीय पार्षद के द्वारा निगम की राशि का झूठे तथ्यों पर भुगतान कर गबन कर लाखों रूपये का चूना लगाकर आपस में पैसों की बंदरबाट की गई। सामाजिक कार्यकर्ता धनराज गेहलोत के अनुसार इसकी जांच किसी अन्य विभाग से कराया जाना आवश्यक होगा क्योंकि एमबी में दर्ज क्वान्टीटी में लंबाई, चैड़ाई एवं उंचाई आदि का उल्लेख नहीं किया गया है। सीधे सीधे क्वांटीटी में रेट का गुणा कर संबंधित ठेकेदार को भुगतान कर भारी भ्रष्टाचार किया गया है। जो सड़क भुगतान लेने के बाद भी नहीं बनी अब उसे बिना वर्क आॅर्डर के बनवा रहे धनराज गेहलोत द्वारा सूचना के अधिकार में मामले की जानकारी निकालने के बाद ही उक्त स्थान पर 8 सितंबर से ठेकेदार कमलेश पगारिया द्वारा निर्माण कार्य बिना वर्क आॅर्डर के प्रारंभ किया गया। इस निर्माण का भुगतान किस प्रकार से होगा यह जांच का विषय है क्योंकि भुगतान तो बिना कार्य हुए ही पूर्व में 12 जनवरी 2017 को हो चुका है। उक्त संपूर्ण प्रकरण माप पुस्तिका आदि की जांच किसी अन्य वरिष्ठ विभाग से कराई जाए तो पूरा भ्रष्टाचार सामने आ जाएगा। स्वीकृत हुए 4 लाख और भुगतान सवा 4 लाख इस मामले में एक और चैंकाने वाला तथ्य है वह यह कि जब सड़क निर्माण कार्य हेतु 4 लाख स्वीकृत हुए थे तो 4 लाख 26 हजार का भुगतान ठेकेदार को कैसे करवाया। हालांकि 4 लाख ठेकेदार को दिलवाने के बाद भी सड़क नहीं बनी लेकिन जो सड़क बनी ही नहीं उस पर 26 हजार और अधिक खर्च करवा दिया।

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