‘क्षमा वीरस्य भूषणम’ वीरो का भूषण क्षमा है-प्रभा दीदी
उज्जैन। बुधवार को तपोभूमि पर श्रीजी का चल समारोह व जुलूस निकला जिसमें श्रीजी को चांदी के रथ पर राघव पिपलिया रोड तक घुमाया गया। चांदी का रथ लोगों ने अपने हाथों से खींचा। बैण्ड बाजे, धर्म ध्वजा के साथ निकले जुलूस में रथ के पीछे तपस्वी चल रहे थे साथ ही प्रभा दीदी इसमें शामिल हुईं। दीदी ने सभी उपवास करने वालों को श्रीजी के समक्ष हाथ जुडवाये व आर्शिवाद भी दिया। सुबह 9ः30 पर सभी उपवास वाले लोगों को पारणा का कार्यक्रम हुआ। जिसमे ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रभा दीदी व अंजू दीदी के समक्ष समाजजनों ने सभी उपवास करने वालो को पारणा (खाना) कराया व सम्मान बहुमान किया। सभी शिविरार्थियो का सम्मान बहुमान व बिदाई भी हुई।
10.30 बजे दीदी के प्रवचन व 11.30 बजे श्रीजी के अभिषेक हुए। अभिषेक तपोभूमि में स्वर्ण कलश से हुए जिसमें प्रथम स्वर्ण कलश का लाभ सुमित कुमार हीरामणि काला बड़नगर व शान्तिधारा दिनेश जैन रमेश जैन लविश जैन सुपर फार्मा को प्राप्त हुआ। तपोभूमि में बुधवार को प्रभू के चरणों में रही चांदी के लोंग की माला फुलमाल का लाभ वीरसेन मोती रानी जैन एवं चांदी की ही माल ज्ञानमाल का लाभ अशोक रंजना जैन चायवाला परिवार को प्राप्त हुआ।
प्रभा दीदी ने अपने प्रवचन के माध्यम से समाजजनों को समझाया एवं क्षमा मांगने का क्रम भी चालू किया और कहा कि सभी मनुष्यों को पहले यह कहना चाहिए मेरे द्वारा जो दुष्कर्म हुआ है उसकी क्षमा हो जाए मेरा पाप मीठा हो जाए हो मैं आप सभी से माफी मांगता हूं मानता हूं आई एम सॉरी सबसे पहले मैं अरिहंत भगवान से छमा मांगती हूं आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी से क्षमा चाहती हूं हमारे गुरुदेव प्रज्ञा सागर जी महाराज से छमा चाहती हूं एवं संपूर्ण शिविरार्थियों के साथ-साथ मैं समाज से भी छमा मांगती हूं कि मेरे द्वारा कभी कोई जाने अनजाने में गलती हो गई हो तो मुझे छमा करें प्रभा दीदी और अपने प्रवचनों में कहा कि 364 दिनों में हुई गलतियों को भुलाकर अपने दुश्मन को भी माफ कर देने और माफी मांग लेने, भाई से बैर भुला देने, पड़ोसी से रिश्ते सुधार लेने से ही क्षमावाणी सार्थक होगी। मोबाईल पर उत्तम क्षमा का मैसेज भेज देना भर क्षमावाणी नहीं है। इस दिन बड़ो के पैर छुएं तो छोटों को दुलार दें और सास-बहू तो जरूर गले मिलें। दीदी ने प्रवचन में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन क्षमा मांगनी चाहिए और क्षमा करना चाहिए। एक इन्द्रीय, दो इन्द्रीय, तीन इन्द्रीय, चार इन्द्रीय व पांच इन्द्रीय जीवो से जाने अनजाने मे चलने फिरने में, सोच विचार, बोलने चालने में,घुमने फिरने में इस जनम या पीछले जन्मो में कोई गलती हुई तो क्षमा मांगना चाहिए मैं भी आप सब लोगो से क्षमा मांगता हुॅं और आप सब लोगो को क्षमा करता भी हुॅं। क्ष्मा करना व क्षमा मांगने से कोई छोटा नही बल्कि बड़ा होता है क्षमा वीरस्यभुषणम् क्षमा वीरो का आभूषण और ब्रह्मचारिणी अंजु दीदी व विशाल जैन भैया जी ने भी अपने उद्बोधन के माध्यम से सभी से क्षमा मांगी एवं संपूर्ण पूजा का आयोजन विशाल भैया जी के सानिध्य में संपन्न हुआ तपोभूमि में दोपहर में तत्व चर्चा व शाम को भगवान व गुरूदेव की महाआरती हुई।।