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वासुपूज्य भगवान को चढ़ाया निर्वाण लाडू, निकला श्रीजी का चल समारोह


उज्जैन। पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व की 11 दिवसीय धार्मिक आराधना के अंतिम दिन शहर के सभी दिगंबर जैन मंदिरों में धूमधाम रही। साथ ही भगवान वासुपूज्य का मोक्षकल्याणक दिवस भी मनाया गया। प्रातःकाल अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन के साथ ही 1008 वासुपूज्य भगवान को निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। अनंत चतुर्दशी के पावन दिन श्रीजी का चल समारोह भी निकाला गया। नमकमंडी जिनालय से दोपहर 2.30 बजे प्रारंभ हुआ चल समारोह एटलस चैराहा, बहादुरगंज होता हुआ क्षीरसागर स्थित सीमंधर दिगंबर जीनालय पहुंचा। जहां भक्ति भाव से भगवान की भक्ति की गई। वहां से चल समारोह पुनः कंठाल सराफा होता हुआ नमकमंडी जिनालय पहुंचा। चल समारोह मार्ग पर जैन धर्मावलंबियों ने अपने घर के द्वार पर श्रीजी का पूजन अभिषेक व भेंट अर्पित की। चल समारोह में चांदी की वेदी में श्रीजी विराजमान थे। जिसे समाजजन कांधे पर लिये हुए चले। चल समारोह में बग्घी में आचार्य विशुध्दसागर महाराज के शिष्य प्रत्युस भैयाजी व जयपुर से प्रवचन हेतु पधारे सुशील भैयाजी विराजमान थे। चल समारोह नमकमंडी जिनालय पहुंचा। जहां कलशाभिषेक हेतु बोलियां लगाई गई। प्रथम स्वर्ण कलश का लाभ हितेश कैलाशंचंद्र कासलीवाल, द्वितीय स्वर्ण कलश समता हितेश कासलीवाल, तृतीय रजत कलश विकास दुलीचंद जैन, चतुर्थ रजत कलश प्रकाश जैन लालाजी मंडीवालों को प्राप्त हुआ। सभी लाभार्थियों ने श्रीजी के अभिषेक किये। संचालन करते हुए मंदिर ट्रस्ट के सचिव अनिल गंगवाल ने नमकमंडी जिनालय के जीर्णोध्दार की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए मंदिर निर्माण का नवीन मानचित्र प्रस्तुत किया जिसमें पंच परमेष्ठी की पांच छत्रियां व रत्नत्रय रूपी 3 द्वार नवीन सिरे से बनाने की प्रस्तावना रखी। समाजजनों ने इस अवसर पर दिल खोलकर उक्त कार्य को कराने में सहयोग प्रदान करने का संकल्प लिया साथ ही कई लोगों ने राशि देने की घोषणा की।

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