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उत्तम ब्रहम्चर्य धर्म के साथ बना पर्यूषण महापर्व का ग्यारहवा व अतिंम दिन


अपनी आत्मा स्वरुप में विचरण कर उसे समझना व अपने ब्रह्म को समझना ही है उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म- प्रभा दीदी
वासुपुज्य भगवान के मोक्ष कल्याण पर निर्वाण लाडू चढाए
प्रज्ञा पुष्प मंच की बालिकाओं ने दी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति
कलिकुंड पाश्र्वनाथ मंडल विधान के साथ 10 लक्षण धर्म की पूजा-आचार्य प्रसन्न ऋषि
आज जुलुस, श्रीजी का अभिषेक व सामुहिक क्षमावाणी
उज्जैन। मंगलवार को उत्तम ब्रहम्चर्य व्रत धर्म की पूजा व 10 लक्षण धर्म के साथ पर्यूषण महापर्व मनाया गया। वासुपुज्य भगवान के मोक्ष कल्याण पर निर्वाण लाडू चढे। 
वासुपूज्य भगवान के निर्माण लड्डू का सौभाग्य विमल पुष्पराज जैन को मिला एवं कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अशोक जैन चायवाले, रमेश एकता, विनीता कासलीवाल, राजेन्द्र लुहाडिया, धर्मेन्द्र सेठी, पवन बरार, कमल मोदी, वीरसेन जैन, ज्योति जैन, ओम जैन, संजय जैन, सुनिल जैन, विकास सेठी, हेमन्त गंगवाल, लविश जैन, धीरेन्द्र सेठी, हंसराज जैन, विमल जैन, भूषण जैन, पुष्पराज जैन, पलाश लुहाड़िया, अतुल सोगानी, बसंतीलाल बिलाला, बसंत जैन, प्रज्ञा कला मंच की महिलाएं एवं प्रज्ञा पुष्प की बालिकाएं उपस्थित थीं। 
प्रभा दीदी ने उत्तम ब्रहम्चर्य का मतलब बताते हुए कहा कि अपनी आत्मा स्वरूप में विचरण करना, आत्मा का स्वरूप समझना अपने ब्रम्ह को समझते हुए उसको अपनी चर्या में लाना ही ब्रहम्चर्य कहलाता है। उत्तम ब्रहम्चर्य लावे, नर सुर सहित मुक्ति फल पावे, को चरितार्थ करना होता है अर्थात पर्यूषण दस लक्षण पर्व में अंतिम पर्व के बिना कुछ नही है। उत्तम क्षमा, मार्द्रव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन के साथ-साथ उत्तम ब्रम्हचर्य व्रत का होना आवश्यक है। आचार्य हो या मुनि, साधु हो या सन्यासी यदि वे उत्तम ब्रम्हचर्य का पालन करेंगे तो ही यह संसार उनको पूजेगा। उत्तम ब्रम्हचर्य व्रत पालो, माता, बहन और बेटी सभी को पहचानों और बचाओं और अपने विचारो में भी उत्तम ब्रहम्चर्य को अपनाओ।

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