परंपरा के विरोध में सुझाव देने वाले महंत का कृत्य निंदनीय
उज्जैन। दुर्गा अष्टमी पर चैबीस खंबा माता को मदिरा का भोग लगाने की परंपरा अनादीकाल की है। पूर्व में भी आर्य समाज द्वारा विरोध किया गया था जिसका हिंदू समाज ने आर्य समाज का पूरजोर विरोध किया था। शांति समिति की बैठक में कतिपय महंत द्वारा परंपरा के विरोध में सुझाव देने का विरोध जो अन्य समिति सदस्यों ने किया उन्हें साधुवाद देते हुए महाकाल सेना प्रमुख महेश पुजारी ने समिति अध्यक्ष जिलाधीश को पत्र लिखकर महंत के सुझाव की निंदा की है।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि महंत रामेश्वरदास हिंदू समाज के चुने हुए नहीं है और हिंदू समाज इन्हें संत होने के नाते भी हिंदू समाज का मुखिया नहीं मानता। इसलिए इन्हें ऐसे सुझाव देने का अधिकार नहीं है। समिति के अध्यक्ष से यह भी मांग की है कि महंत को हिंदू समाज का नेतृत्व करने का दर्जा नहीं है। सेना प्रमुख ने पत्र में उल्लेख किया है कि कतिपय संत सिंहस्थ पर्व पर शाही स्नान की साधु समाज के प्रथम स्नान करने की प्रथा को बदलकर सिंहस्थ में आने वाले करोड़ों हिंदू को पहले स्नान कराने की प्रथा आरंभ करने का सुझाव अखाड़ा परिषद को ये महंत देंगे। ऐसे अनर्गल सुझाव का हिंदू समाज भत्र्सना करता है। महंत हिंदू समाज से माफी मांगे।