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जीवन में प्रगति करना है तो नदी की तरह बहना होगा


नृत्य कला नदी की तरह प्रवाहमान बनी रहे

      उज्जैन । नृत्याराधना नृत्य मन्दिर संस्थान द्वारा आयोजित सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम समागम के समापन अवसर पर 27 अगस्त की शाम को कालिदास अकादमी परिसर स्थित पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल में संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने नृत्य कला के कलाकारों से कहा कि नृत्य कला नदी की तरह प्रवाहमान बनी रहे। जीवन में प्रगति करना है तो नदी की तरह बहना होगा। जैसे नदी स्वयं अपना रास्ता बनाती है। नृत्य एक ऐसी कला है, जो रचनाकार और रचना को एकत्रीकरण बनाये रखती है। शेष कलाओं में कलाकार अलग-अलग हो जाते हैं। जीवन में लक्ष्य पाने के लिये जुनून होना चाहिये।
      प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि अमृत की वह बूंद जो हमारे लिये विकल्प है। नदियां हैं, जल है तो पृथ्वी पर जीवन है। उज्जयिनी के समीप बहने वाली मोक्षदायिनी मां शिप्रा नदी उज्जैन को तीन तरह से घिरी है। कहा गया है कि विष्णु भगवान की तर्जनी से मां शिप्रा निकली है। आपने संस्था की प्रशंसा की, जिन्होंने मोक्षदायिनी शिप्रा नदी पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किया। यह संस्था साधुवाद की पात्र है। संस्था के द्वारा शिप्रा नदी के साथ-साथ नृत्य कलाकारों ने नदी पर आधारित नृत्य की प्रस्तुतियां दी हैं, जो प्रशंसनीय है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने वागदेवी के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर पूजन-अर्चन किया। अतिथियों का स्वागत संस्था की संचालित सुश्री खुशबू पांचाल, दीपा शर्मा, मनोहर पांचाल आदि ने पुष्पगुच्छ एवं शिप्रा के जल का कलश भेंट कर सम्मानित किया। सुश्री खुशबू पांचाल की गुरू श्रीमती पूनम व्यास का अतिथियों के द्वारा सम्मानित किया। सम्मान-पत्र का वाचन डॉ.हरिहर पोदार ने किया। स्वागत भाषण श्री अर्पित गुप्ता ने दिया। कार्यक्रम में डॉ.पूनम व्यास ने इस अवसर पर कहा कि हमारे देश की नदियों को माता कहा जाता है और पत्थरों को भगवान माना जाता है। शिप्रा मैया को शुद्ध रखना यह हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने शिष्यों से कहा कि वह समर्पित भाव से शिक्षा लें तो निश्चित ही वह अपना नाम गौरवान्वित करता है। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के कलाकारों द्वारा शिवस्तुति की गई। इसके बाद श्री रवीन्द्र देवलेकर के निर्देशन में श्री शिप्रा सांस्कृतिक संस्थान के कलाकारों द्वारा शिप्रा आरती विषय पर मंचन किया गया और गौरव अग्रवाल के निर्देशन में मनोविकास विद्यालय के मानसिक विकलांग बच्चों द्वारा शिप्रा महात्म्य पर सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन सुदर्शन अयाचित ने किया। इस अवसर पर कालिदास अकादमी के निदेशक श्री आनन्द सिन्हा सहित कलाप्रेमी, साधक, सुधिजन आदि उपस्थित थे।

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