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नवजात शिशुओं के लिये वरदान बना चरक अस्पताल का एसएनसीयु विभाग


 

      उज्जैन । उज्जैन के चरक अस्पताल स्थित एसएनसीयु में विगत जुलाई से अब तक 2729 नवजात शिशुओं का उपचार किया जा चुका है। इसमे न सिर्फ उज्जैन जिले के नवजात शामिल हैं, वरन उज्जैन जिले से लगे अन्य क्षेत्रों से भी नवजात शिशु नियमित रूप से रैफर होकर उपचार हेतु आते है। एसएनसीयु मे 24 घंटे प्रशिक्षित शिशुरोग चिकित्सक, स्टाफ नर्स एवं सहायक स्टाफ उपलब्ध रहते है, जो निरन्तर आत्मीयता से पारिवारिक वातावरण मे नवजात शिशुओं की देखभाल करते है।

जहां निजी चिकित्सालय मे एसएनसीयु मे नवजात को भर्ती करने पर प्रतिदिन का खर्च लगभग 3-4 हजार रूपये पड़ता है। न्यूनतम 1 सप्ताह भर्ती रहने की आवश्यकता पर यह खर्च लगभग 25 हजार रूपये आता है। जबकि शासकीय मातृ एवं शिशु चिकित्सालय (चरक भवन) मे यह सुविधा  निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, जिसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर मे तेजी से कमी लाना एवं शिशुओं को स्वास्थ्यप्रद जीवन प्रदान करना है।

ग्राम मालीखेड़ी, तहसील महिदपुर निवासी श्री श्यामलाल जब बहुत सारी अपेक्षाओं के साथ अपनी गर्भवती पत्नी श्रीमती ममता को प्रसव हेतु चरक अस्पताल मे लाये तो उनके मन मे आने वाले बच्चें को लेकर बहुत उत्साह था, परन्तु प्रसव के पश्चात शिशु के संबंध मे चिकित्सक द्वारा बताया गया कि शिशु का वजन मात्र 01 किलोग्राम है। यह श्रेणी गंभीर शिशु की है।

वे शिशु को चरक अस्पताल के एसएनसीयु में भर्ती करने के पश्चात मन ही मन ईश्वर से अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिये प्रार्थना करने लगे। ऐसे समय मे एसएनसीयु के प्रभारी डॉ.दिलीप वास्के द्वारा उन्हे ढांढस बंधाया गया तथा समझाया कि एसएनसीयु में इस प्रकार के बच्चों के उपचार की गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था शासन द्वारा निःशुल्क उपलब्ध है। लगभग 5 दिनों तक शिशु को भर्ती रखकर आवश्यक उपचार एवं सतत् देखभाल एसएनसीयु स्टाफ द्वारा प्रदान की गई। फलस्वरूप शिशु का वजन लगभग आधा किलो बढ़कर डेढ़ किलो हो गया। चिकित्सक द्वारा उन्हे उचित सलाह प्रदान कर शिशु को डिस्चार्ज किया गया। नियमित फालोअप हेतु सलाह दी गई। 

आज श्री श्यामलाल अपने स्वस्थ बच्चे के साथ कभी-कभार सामान्य चैकअप हेतु एसएनसीयु प्रभारी डॉ.दिलीप वास्के के पास आते है तो मन ही मन शासन द्वारा आमजन के लिये उपलब्ध कराई गई इस सुविधा का कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित करते है। उन्हे लगता है कि धनराशि के अभाव मे किसी निजी चिकित्सालय मे ऐसा उपचार करा पान उनके लिये संभव नही था।

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