गुड्स एवं सर्विस टैक्स पर नगरीय निकायों की कार्यशाला आयोजित हुई
टैक्स प्रणाली में जीएसटी बेहद सरल है –उपायुक्त जीएसटी
उज्जैन । उज्जैन संभाग के जीएसटी के उपायुक्त श्री वीरेन्द्र जैन ने कहा है कि टैक्स प्रणाली में जीएसटी बेहद सरल है। इसकी प्रक्रियाओं को समझने के बाद इसको आसानी से लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी वस्तु एवं सेवा पर लगाये जाने वाला कंज्यूमर बेस्ड टैक्स है। वस्तु एवं सेवा की जिस स्थान पर खपत होगी, वहां पर टैक्स लगेगा। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाली सर्विस या गुड्स पर एसजीएसटी (राज्य जीएसटी) एवं आईजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) दोनों लगेगा। श्री जैन ने आज उज्जैन संभाग के नगरीय निकायों के मुख्य अधिकारियों एवं लेखा अधिकारियों की कार्यशाला में यह बात कही। कार्यशाला में सुश्री अंजली मुखर्जी, श्री सोमनाथ झारिया, श्री चंद्रेश जैन मौजूद थे।
कार्यशाला में संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन ने नगरीय निकायों से जीएसटी के दायरे में आकर कार्य करने को कहा है तथा स्पष्ट किया है कि जीएसटी के प्रावधानों को सभी अधिकारी अच्छी तरह से समझ लें।
जीएसटी की संकल्पना एवं उसके लाभ
जीएसटी गन्तव्य आधारित उपभोग कर है, जिसका मतलब है कि किसी वस्तु पर लिये गये कर का लाभ उस राज्य को मिलेगा, जिस राज्य में उस वस्तु की खपत होगी। पहले की प्रणाली के तहत उत्पादक या उत्पत्तिकारक राज्य को कर प्राप्त होता था। जहां माल अन्तर्राज्यीय व्यापार में बेचे जाते थे, वहां केन्द्रीय बिक्री कर विक्रेता राज्य द्वारा प्राप्त किया जाता था। वर्तमान प्रणाली के तहत आपूर्ति श्रृंखला के विभिन्न चरणों में लगाये गये राज्य व केन्द्रीय करों को पूरी तरह अन्तिम गन्तव्य के लिये स्थानान्तरित कर दिया जायेगा। गन्तव्य राज्य द्वारा पूर्ण एसजीएसटी का उपभोग किया जायेगा। राज्य के निवासियों द्वारा दिया गया एसजीएसटी दूसरे राज्य की एसजीएसटी देयता के विरूद्ध समायोजन के लिये उपलब्ध नहीं होगा।
अर्थव्यवस्था पर होने वाले लाभों को देखें तो जीएसटी लागू होने से कम विकसित राज्यों को आर्थिक रूप से लाभ होगा, क्योंकि कम विकसित राज्य ही मूलत: उपभोक्ता राज्य हैं और जीएसटी एक गन्तव्य आधारित उपभोग कर है। कर की बाहुल्यता कम होने से प्रशासनिक व्यय में बचत संभव होगी। इसके परिणामस्वरूप मानव संसाधन व अन्य संसाधनों का उपयोग अन्य लाभकारी योजनाओं के लिये किया जा सकेगा।
स्थानीय नगरीय निकायों पर जीएसटी
स्थानीय नगरीय निकाय द्वारा विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा स्थानीय नगरीय निकाय व्यावसायिक इकाईयों को अन्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं जैसे- दुकान किराये पर देना, तहबाजारी, नाव घाट किराया, होर्डिंग लगाने की अनुमति आदि। स्थानीय निकाय की आय के अन्य स्त्रोत में कबाड़ की बिक्री भी है। स्थानीय नगरीय निकायों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 01- करमुक्त सेवाएं, 02- करयोग्य सेवाएं तथा 03- व्यावसायी को प्रदत्त सेवाएं जिन पर सेवा के प्राप्तकर्ता को देना होगा। इसके अतिरिक्त स्थानीय नगरीय निकायों को कुछ विशिष्ट सेवाओं को प्राप्त करने की दिशा में भी कर देना होगा। इनमें अधिवक्ताओं से प्राप्त वैधानिक सेवाएं, अपंजीकृत व्यक्तियों से प्राप्त सेवाएं, माल अथवा दोनों तथा सड़क मार्ग से माल परिवहन का भाड़ा देने की स्थिति में। कार्यशाला में एसजीएसटी के नियमों के अनुपालन के तहत पंजीयन, माइग्रेशन, जीएसटी के लेखांकन, अभिलेखों के संधारण तथा विवरणी जमा करने सम्बन्धी प्रावधानों की जानकारी विस्तार से दी गई।
जीएसटी अधिनियम केवल करमुक्त सेवा, माल अथवा दोनों प्रदाय करने की दशा में पंजीयन से छूट प्रदान करता है। सीजीएसटी अधिनियम और एसजीएसटी अधिनियम दोनों के तहत समान प्रावधान किये गये हैं। यदि कोई स्थानीय नगरीय निकाय भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 के अन्तर्गत सेवाएं प्रदान करता है या अचल सम्पत्ति के किराये के अलावा अन्य सेवाएं प्रदान करता है तो उसे सेवा प्रदाता के रूप में पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे सभी व्यक्तियों के लिये पंजीकरण अनिवार्य है, जो वैट, केन्द्रीय उत्पाद, सेवाकर के तहत पंजीकृत थे। सभी अपंजीकृत व्यक्तियों के लिये कुछ मामलों में धारा 24 के अनुसार पंजीकरण अनिवार्य है। स्थानीय नगरीय निकायों पर लागू होने वाले धारा 24 में दिये गये मामलों में सड़क मार्ग से परिवहन का भाड़ा देने की स्थिति में वकीलों को वैधानिक फीस भुगतान करने पर एवं अपंजीकृत मांग सेवा लेने पर पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।
सभी नगरीय निकायों से कहा गया है कि माल एवं सेवाओं का उपार्जन यथासंभव पंजीकृत प्रदायकर्ता से ही करना उचित होगा। अपंजीकृत प्रदायकर्ता से माल एवं सेवाओं का उपार्जन करने पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत कर भुगतान के लिये उत्तरदायी होंगे। अपंजीकृत माल अथवा सेवा लेने पर स्थानीय नगरीय निकायों को ऐसी प्राप्ति हेतु देयक बनाना होगा तथा उस प्राप्ति पर लगने वाले कर को जमा करने का दायित्व नगरीय निकाय का होगा और ऐसी प्राप्तियों का ब्यौरा मासिक विवरणी में देना होगा। खाते एवं अभिलेखों के संधारण के लिये नगरीय निकायों को उत्पादित माल का विवरण, आवक तथा जावक सेवाओं का माल या दोनों का विवरण, माल के स्कंद का विवरण उपयोग किये गये इनपुट टैक्स क्रेडिट का विवरण तथा देय कर तथा भुगतान किये गये कर का विवरण आदि अभिलेखों का संधारण करना अनिवार्य है।