"ग्रीन गणेश" अभियान के दूसरे दिन उज्जैन में 3 स्थलों पर बनाई गई मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं
उज्जैन | पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन ‘एप्को’ की पहल पर उज्जैन शहर में ‘ग्रीन गणेश’ अभियान के दूसरे दिन 23 अगस्त को 03 स्थलों पर मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का निर्माण हुआ। इस दौरान स्कूली विद्यार्थियों, बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं ने बड़े उत्साह के साथ अभियान में हिस्सा लेते हुए प्रतिमाओं का निर्माण किया। इनको भोपाल से आये मूर्तिकारों, एप्को के अधिकारियों तथा स्थानीय मूर्तिकारों ने मार्गदर्शन दिया। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से संचालित इस अभियान में बड़े स्तर पर शहर में नागरिकों को मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का निर्माण सिखाया गया है।
बुधवार 23 अगस्त को उज्जैन के शासकीय उमावि जालसेवा निकेतन फ्रीगंज स्कूल तथा शासकीय कन्या उमावि दशहरा मैदान में विद्यार्थियों को गणेश प्रतिमाओं का निर्माण सिखाया गया। इसके अलावा शहर के पीपली नाका चौराहे पर आम जनता की सहभागिता से मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं निर्मित की गईं। बुधवार को शहर में लगभग 02 हजार से भी ज्यादा विद्यार्थियों व आम नागरिकों ने इस अभियान में सहभागिता की। स्कूलों में करीब 1500 विद्यार्थियों ने प्रतिमा निर्माण में हिस्सा लिया। सार्वजनिक स्थल पीपली नाका चौराहे पर सभी नागरिकों के लिये आयोजन रखा गया था। यहां पर लगभग 600 आम नागरिक इस मुहिम में सम्मिलित हुए।
इस दौरान नागरिकों व स्कूली विद्यार्थियों को पीओपी प्रतिमाओं से पर्यावरण को होने वाले नुकसान तथा मिट्टी की प्रतिमाओं से पर्यावरण हित व इसके लाभ समझाते हुए मिट्टी की प्रतिमाओं का निर्माण करवाया गया।
दो दिवसीय आयोजन में करीब 5 हजार विद्यार्थियों व नागरिकों ने की सहभागिता
उज्जैन शहर में एप्को द्वारा 22 तथा 23 अगस्त को विभिन्न स्थलों पर मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं के निर्माण का आयोजन किया गया। इस दौरान करीब 05 हजार विद्यार्थियों व नागरिकों ने आयोजन में सहभागिता की। दोनों दिवसों में कुल 04 स्कूलों तथा 02 सार्वजनिक स्थलों पर यह आयोजन रखा गया था। आयोजन में भोपाल से आये मूर्तिकारों श्री प्रशान्त गोटिवाले व अंजली गोटिवाले ने प्रतिमा निर्माण के लिये मार्गदर्शन दिया। आयोजनों में मास्टर ट्रेनर श्री ब्रजेश शर्मा, नोडल अधिकारी सुश्री अलका सहस्त्रबुद्धे ने भी योगदान दिया। एप्को के भोपाल से आये अधीक्षण यंत्री श्री जेपी नामदेव श्री राजेश रायकवार, श्री एमडी मिश्रा आयोजनों को व्यवस्थित स्वरूप दिया।