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मुख्य सचिव श्री बीपी सिंह ने संभागीय समीक्षा बैठक ली


 

      उज्जैन । मुख्य सचिव श्री बीपी सिंह ने राजस्व विभाग के कामकाज की संभागीय समीक्षा बैठक ली तथा निर्देश दिये कि नायब तहसीलदार कोर्ट से लेकर संभागायुक्त कोर्ट तक राजस्व प्रकरणों को दर्ज किया जाये एवं उसके बाद इनके निराकरण की कार्यवाही प्रारम्भ की जाये। उन्होंने कहा कि नीचले स्तर के राजस्व न्यायालयों में कई बार रीडर्स द्वारा प्रकरणों को दायरा पंजी में दर्ज नहीं किया जाता है और इसी कारण हितग्राही यहां-वहां चक्कर लगाता है। राजस्व प्रकरणों को दर्ज नहीं किया जाना एक बड़ा शोषण करने का कारण बन जाता है। मुख्य सचिव ने कहा है कि वे दो माह बाद पुन: संभागीय समीक्षा करेंगे एवं निरीक्षण में यदि बिना दर्ज किये प्रकरण पाये गये तो सम्बन्धित राजस्व अधिकारी को निलम्बित कर दिया जायेगा। मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों पर जाकर नायब तहसीलदार स्तर से शुरू होकर संभागायुक्त कोर्ट के प्रकरणों की समीक्षा की जा रही है। इसी सिलसिले में उन्होंने आज सिंहस्थ मेला कार्यालय में संभागीय समीक्षा बैठक ली। बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व श्री अरूण पाण्डेय, संभागायुक्त श्री एमबी ओझा, प्रमुख सचिव लोक सेवा प्रबंधन श्री हरिरंजन राव, आयुक्त भू-अभिलेख श्री एमके अग्रवाल, सचिव राजस्व श्री पी नरहरि, प्रमुख राजस्व आयुक्त श्री रजनीश श्रीवास्तव, अपर आयुक्त डॉ.अशोक कुमार भार्गव, उज्जैन कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे सहित संभाग के सभी कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार मौजूद थे।

हर पीठासीन अधिकारी स्वयं अपनी कोर्ट का निरीक्षण करे

      मुख्य सचिव श्री बीपी सिंह ने बैठक में सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपनी कोर्ट का निरीक्षण स्वयं करें और देखें कि कितने केस दर्ज हैं और ऐसे कितने केस हैं, जो रीडर ने उनके सामने प्रस्तुत ही नहीं किये हैं। उन्होंने कहा कि निरीक्षण रिजल्ट ओरिएंटेड होना चाहिये। साथ ही उन्होंने निर्देश दिये कि दर्ज किये गये सभी प्रकरण रेवेन्यु केस मैनेजमेंट सिस्टम साफ्टवेयर में दर्ज होना चाहिये। मुख्य सचिव ने चेतावनी देते हुए कहा है कि राजस्व अधिकारी फर्जी निरीक्षण कदापि न करें।

      मुख्य सचिव ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि प्रदेश में कई स्थानों पर राजस्व न्यायालयों में इसलिये प्रकरण लम्बित रहते हैं कि पटवारी रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं या एसडीएम कोर्ट में तहसीलदार की रिपोर्ट के लिये प्रकरण पेंडिंग पड़े हैं। उन्होंने निर्देश दिये कि इस तरह के प्रकरणों की जांच की जाये।

शत-प्रतिशत पटवारी बस्तों की जांच हो

      मुख्य सचिव ने बैठक में सभी तहसीलदारों एवं नायब तहसीलदारों को निर्देश दिये कि वे अपने अधीनस्थ शत-प्रतिशत पटवारियों के बस्तों की जांच करें। साथ ही राजस्व निरीक्षक के दफ्तर की विस्तार से जांच की जाये। उन्होंने रेवेन्यु केस मैनेजमेंट सिस्टम मशीन से सीमांकन कराने को कहा है। मुख्य सचिव ने कहा है कि तीन महीने के बाद एक भी अविवादित नामांतरण बाकी नहीं रहना चाहिये। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि तीन माह के बाद यदि कोई नामांतरण होना शेष रहता है तो सम्बन्धित व्यक्ति को एक लाख रूपये का ईनाम दिया जायेगा और यह राशि लम्बित रखने वाले राजस्व अधिकारी से वसूल की जायेगी। मुख्य सचिव ने राजस्व अधिकारियों को कहा है कि वे पुराना रेवेन्यु सिस्टम लागू करते हुए अधिक से अधिक ग्रामों का भ्रमण करें। मुख्य सचिव ने कहा कि राजस्व अधिकारी अविवादित नामांतरण को विवादित न बनायें, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे।

डायवर्शन, नजूल व अर्थदण्ड की वसूली की जाये

      मुख्य सचिव ने कहा कि राजस्व अधिकारी लम्बे समय से अन्य कामों में व्यस्त रहने के कारण अपने मूल राजस्व के कामों में पिछड़ गये हैं। प्रदेश में जहां लगभग साढ़े छह हजार करोड़ रूपये की राजस्व वसूली होना चाहिये, वहीं मात्र साढ़े चार सौ करोड़ वसूली जा रही है। मुख्य सचिव ने डायवर्शन, नजूल व अर्थदण्ड की वूसली के कार्य में निरन्तरता बनाये रखते हुए प्रदेश सरकार का राजस्व बढ़ाने को कहा है। मुख्य सचिव ने कहा है कि कठिन परिस्थितियों में भी कुछ अधिकारी ऐसे हैं, जो अच्छा काम कर रहे हैं। उन्हें पुरस्कार दिया जायेगा। मुख्य सचिव ने यह भी कहा है कि शीघ्र ही नायब तहसीलदारों एवं पटवारी के पदों पर भर्ती की जायेगी, जिससे अमले की कमी के कारण कार्य में होने वाली रूकावट समाप्त होगी।

      बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व श्री अरूण पाण्डेय ने निर्देश दिये कि डायवर्शन के प्रयास होना चाहिये। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में हस्तलिखित दायरा पंजी समाप्त कर दी जायेगी एवं राजस्व प्रकरणों को केवल ऑनलाइन ही दर्ज किया जायेगा। किसी भी राजस्व न्यायालय में यदि एक हफ्ते से अधिक पुराना प्रकरण दर्ज नहीं करना पाया गया तो सम्बन्धित राजस्व अधिकारी के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। श्री पाण्डेय ने कहा कि डायवर्शन के मामले में 30 दिन के भीतर निपटारा होना चाहिये। बैठक में प्रमुख सचिव लोक सेवा प्रबंधन श्री हरिरंजन राव ने कहा कि अविवादित नामांतरण, बंटवारा आदि मामले को गंभीरता से निपटाना होगा। अविवादित नामांतरण के मामले में अधिकार ग्राम पंचायतों को दिये गये हैं। हर गांव में बी-1 का वाचन किया जाना अनिवार्य है तथा राजस्व न्यायालय में प्रकरण तीन पेशियों से अधिक नहीं रूकना चाहिये। बैठक में राजस्व सचिव श्री पी नरहरि ने आरसीएमएस साफ्टवेयर के बारे में राजस्व अधिकारियों को जानकारी दी तथा कहा कि अब राजस्व के नामांतरण व बंटवारे के प्रकरण एमपी ऑनलाइन से भी सीधे दर्ज किये जायेंगे।

      बैठक में संभागायुक्त श्री एमबी ओझा ने संभाग में राजस्व विभाग द्वारा किये जा रहे कामों के बारे में जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि उज्जैन संभाग में सीमांकन के 6577 प्रकरण दर्ज किये गये हैं, इनमें से 5956 का निराकरण किया गया है। इसी तरह बंटवारा के 8076 प्रकरण दर्ज हुए हैं, इनमें से 5659 प्रकरण निराकृत किये गये हैं। अतिक्रमण के भी 12100 प्रकरण दर्ज किये गये हैं इनमें से 10927 प्रकरण निराकृत किये गये हैं। उन्होंने कहा कि संभाग में अभियान चलाकर पुराने प्रकरणों का निराकरण किया गया है। बैठक में सीएम हेल्पलाइन की भी समीक्षा की गई।

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