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मथुरा, अयोध्या, काशी, उज्जैन, कामाख्या मंदिर के अनुसार पर्व मनाए हिंदू समाज


उज्जैन। हिंदू सनातन धर्म में अनेक देवताओं की पूजा, त्यौहार, ज्योतिष के मत मतांतर, घटीपाल के कारण दो-दो त्यौहार मनाने की प्रथा चलाकर परंपराओं को ठेस पहुंचाने जैसा हिंदू त्यौहार बन गया है। इस कारण धर्म परंपरा पर प्रश्न चिन्ह लगता है साथ ही इस विषय में चारों शंकराचार्य भी चुप्पी साधे बैठे हैं। पंचागकर्ता, विद्वान अपने-अपने पंचांग के हिसाब से त्यौहार मनाने की जो तिथियां तय करते हैं इससे हिंदू समाज का विघटन हो रहा है।

महाकाल सेना प्रमुख महेश पुजारी ने देश के करोड़ों हिंदू धर्मावलंबियों से अपील की है कि अब वक्त आ गया है कि हिंदू त्यौहार जैसे जन्माष्टमी और रामनवमी मथुरा की जन्मभूमि मंदिर एवं अयोध्या के राम जन्म भूमि मंदिर, शिवरात्रि पर्व हेतु उज्जैन के महाकाल मंदिर एवं काशी विश्वनाथ मंदिर के सहयोग व मंत्रणा से मनाने की घोषणा की जावे व इस घोषणा को पूरा देश का हिंदू एक तिथि पर त्यौहार मनावे। पंचांग की जगह जन्मभूमि एवं महाकाल, काशी व कामाख्या की घोषणा को हिंदू पंचांग की जगह महत्व दें तभी हिंदू समाज एक सूत्र में बंध सकता है। इस हेतु शंकाराचार्य एवं समस्त प्रमुख मंदिरों को महाकाल सेना ने पत्र लिखकर मांग की है कि अब जो भी हिंदू त्यौहार होंगे वह स्थान प्रमुख के माध्यम से घोषित हों। उन स्थानों के प्रमुख विद्वानों से चर्चा की जा सकती है। राम जन्म भूमि, कृष्ण जन्मभूमि, महाकाल एवं कामाख्या मंदिरों के विद्वानों के द्वारा अपने स्वयं के पंचांग स्थापित करें एवं एक तिथि त्यौहार को महत्व दे। इससे हिंदू समाज एक तिथि पर देश में एक ही दिन त्यौहार मना सके।

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