वेद सार्वजनिक, सार्वभौमिक एवं मनुष्य मात्र हेतु सत्य की अग्नि में श्रध्दा की आहूति दें- स्वामी वेदोत्मवेश
उज्जैन। अखिल धर्म का मूल वेद है, मनुष्य जन्म मिलने में ही सार्थकता नहीं है बल्कि हमको शाश्वत तत्व ज्ञान एवं ईश्वर प्राप्ति हेतु वेदों की ओर लौटना होगा। उक्त विचार महाराष्ट्र से पधारे आर्य सन्यासी स्वामी वेदोत्मवेश महाराज ने आर्य समाज मंदिर में वेद प्रचार सप्ताह के अवसर पर व्यक्त किये। भजनोपदेशक पं. काशीराम अनल ने कहा कि मृत्यु का भय केवल परमात्मा की सन्निधि एवं सामीप्य से ही दूर हो सकता है। इसके लिए हमको ईश्वरीय वाणी वेदों को जानना समझना होगा। प्रारंभ में देवयज्ञ किया गया जिसमें वरिष्ठ अभिभाषक बी.एल. पंड्या द्वारा यज्ञ क्रिया का विवेचन किया गया। स्वामी प्रवासानंद ने कहा कि केवल आर्य साहित्य ही शाश्वत साहित्य है। जिसको पढ़कर एवं आचरण कर जीवन सफल बनाए। वेदज्ञ पं. राजेन्द्र व्यास ने वेदमंत्र की व्याख्या की। ईशप्रार्थना पं. धर्मेन्द्र शास्त्री ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत प्रधान डाॅ. रामप्रसाद मालाकार एवं पूर्वप्रधान राजेन्द्र शर्मा ने किया। वेदप्रचार सप्ताह का समापन जन्माष्टमी पर्व के साथ राष्ट्र रक्षा यज्ञ एवं ध्वजारोहण के साथ संपन्न होगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कार्य परिवार एवं धर्मालुजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ललित नागर ने किया एवं आभार वेदपकाश आर्य ने माना। उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन रात्रि 8 से 10 तक आर्य समाज मंदिर में वैदिक भजनोपदेश कार्यक्रम संपन्न हो रहे हैं।