संभागायुक्त से नहीं मिल पाए सीलिंग पीड़ित किसान
उज्जैन। 41 वर्षों से सीलिंग की जमीनों को लेकर परेशान हो रहे किसान मंगलवार को अखाड़ा परिषद महामंत्री परमहंस डाॅ. अवधेशपुरी महाराज के नेतृत्व में कमिश्नर एम.बी. ओझा से मुलाकात करने वाले थे किंतु कमिश्नर के नीमच दौरे पर होने के कारण वे मुलाकात नहीं कर सकें। इस मामले में अवधेशपुरी महाराज द्वारा संभागायुक्त से मोबाईल पर चर्चा की गई जिसमें संभागायुक्त ने कहा कि जो प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं उसका निराकरण न्यायालय के द्वारा ही संभव हो पाएगा। उस पर अलग से चर्चा या बैठक की आवश्यकता नहीं है। लेकिन किसान इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए क्योंकि इनमें अनेकों किसान ऐसे हैं जिनके प्रकरण न्यायालय में नहीं है। इसलिए अब किसान जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी पीड़ा व्यक्त करेंगे।
अवधेशपुरी महाराज के अनुसार सर्वविदित है कि सीलिंग की जमीनों से संबंधि सारे प्रकरणों के निराकरण का अधिकार जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा कमिश्नर को प्रदान कर दिया गया है। किसान महाराजश्री के मार्गदर्शन में अपन साथ हुए अन्याय के बारे में कमिश्नर को बताएंगे। किसानों के अनेक जायज प्रश्न हैं कि 1976 में बना सीलिंग एक्ट 1999 में समाप्त होेने पर सीलिंग की जमीनें आज तक मुक्त क्यों नहीं की गई। जब 1999 के एक्ट के आधार पर न्यायालयों में चल रहे प्रकरण स्वतः समाप्त हो जाएंगे तो आज भी किस आधार पर किसानों को परेशान किया जा रहा है। शासन द्वारा विधिवत कब्जा लेने वाली भूमि धारक के पास ही रहेगी फिर कब्जा क्यों। हाईकोर्ट जिस कार्यवाही को फौरी कागजी कार्रवाई कह चुका है, इस आधार पर जमीनें कैसे ली जा सकती हैं। पड़त भूमि पर लागू होने वाला एक्ट कृषि भूमि पर कैसे लागू किया गया आदि।