सिंधी समाज ने मनाया सामूहिक रक्षाबंधन
उज्जैन। भारतीय सिंधू सभा, सिंधु जागृति समाज व भारतीय सिंधु सभा महिला व संपूर्ण सिंधी समाज के नेतृत्व में अलखमेहरधाम आश्रम शिवाजी पार्क में भारतीय सिंधु सभा के युवा अध्यक्ष गोपाल बलवानी व प्रदेश उपाध्यक्ष शिवा कोटवानी, महिला शाखा की प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पा कोटवानी के नेतृत्व में सैकड़ों महिला व पुरूषों ने सामूहिक रक्षाबंधन व रक्षासूत्र त्यौहार मनाकर एकता का परिचय दिया।
बहनों ने भाईयों को राखी बांधी व पत्नी ने अपने पति को, भाभी ने देवर को रक्षासूत्र बांधकर एक दूसरे की रक्षा करने का सामूहिक संकल्प लिया। कार्यक्रम में विशेष रूप से रमेश सामदानी, दौलत खेमचंदानी, रमेश गजरानी, महेश गंगवानी, राजकुमार परसवानी, तीरथ रामलानी, सुनील खत्री, दयाराम कुकरेजा, दीपक राजवानी, स्वाती गजरानी, पूनम वसनानी, सीमा मोठरिया, अनीता खूबचंदानी, हंसा राजवानी, सरोज राजवानी, भावना सामदानी, रोनित गजरानी सहित सैकड़ों समाजजन उपस्थित थे। संचालन गोपाल बलवानी ने किया एवं आभार दीपक राजवानी ने माना।
रक्षाबंधन प्रतिज्ञा का पर्व, बलिदान का उत्सव
रक्षाबंधन व रक्षासूत्र का महत्व बताते हुए रोनित गजरानी ने कहा कि यह प्रतिज्ञा का पर्व तथा बलिदान का उत्सव है। रक्षाबंधन राजा को पुरोहित द्वारा, यजमान को ब्राह्मण द्वारा, भाई को बहन द्वारा पति को पत्नी द्वारा दाहिनी कलाई पर संपन्न होता है। मध्यकाल में रक्षा बंधन में रक्षा की भावना दोहरा अर्थ रखती थी। इसमें रक्षा सूत्र जिसे बांध जाता था उसकी मंगल कामना तो उसमें रहती थी साथ ही बांधने वाली महिला अपने धर्म, जाति व देश की रक्षा की अपेक्षा करती थी। मेवाड़ की महारानी कर्मवती जब गुजरात के बादशाह की सेना द्वारा चारों ओर से घिर गयी थी तो उसने हुमायूं को विश्वास और स्नेह के साथ राखी भेजी थी। हुमायुं ने राखी का सम्मान किया और वह सहायता के लिए सेना सहित चित्तौड़ पहुंचा और विजयश्री दिलवाई।