जिले में बाल भिक्षावृत्ति के विरूद्ध सघन अभियान, 126 बच्चे समझाईश देकर छोड़े गये
उज्जैन । जिले में बाल भिक्षावृत्ति रोको अभियान सघन रूप से संचालित किया जा रहा है। अभियान में बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम दल गठित किये गये हैं। महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल सहायता प्रकोष्ठ तथा चाईल्ड लाइन के सहयोग से जिले में विगत दो वर्षों से ये अभियान संचालित किया जा रहा है। इस दौरान जिले में भिक्षावृत्ति करने वाले डेढ़ सौ बच्चों को पकड़ा गया है।
जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री साबिर अहमद सिद्धिकी ने बताया कि अभियान में पकड़े गये 126 बच्चों को समझाईश देकर छोड़ा गया है। इसके अलावा 24 बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। समझाईश देकर छोड़े गये बच्चों में 71 बालक तथा 55 बालिकाएं हैं। बाल कल्याण समिति को प्रस्तुत बच्चों में 16 बालक तथा 8 बालिकाएं हैं। कुल पकड़े गये बच्चों में 89 बालक तथा 61 बालिकाएं सम्मिलित हैं।
जिले में जारी इस अभियान में रोकथाम दलों द्वारा खासतौर पर उज्जैन के महाकाल, चिन्तामन, हरसिद्धि, सिद्धवट, मंगलनाथ, शनि मन्दिर, रामघाट, गयाकोटा, महिदपुर, तराना, घट्टिया, खाचरौद, नागदा, उन्हेल तथा रेलवे स्टेशन उज्जैन जैसे स्थलों पर कार्यवाही की गई है।
बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिये किशोर न्याय अधिनियम
शासन द्वारा बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिये किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम-2015 बनाया गया है। इस अधिनियम की धारा 76(1) के तहत यदि कोई व्यक्ति या संस्था बच्चे को भीख मांगने के लिये नियोजन करती है या किसी बच्चे से भीख मंगवाती है तो उसे पांच वर्ष तक के कारावास और एक लाख रूपये के जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा, परन्तु यदि भीख मांगने के प्रयोजन के लिये व्यक्ति बालक का अंगोच्छेदन करता है या उसे विकलांग बनाता है तो वह कारावास से, जो सात वर्ष से कम का नहीं होगा, परन्तु जो 10 वर्ष तक का हो सकेगा और पांच लाख रूपये तक के जुर्माने से भी दण्डित होगा।
इस अधिनियम की धारा 76(2) के तहत जो बालकों का वास्तविक भारसाधन के अधीन किसी अपराध के कारित करने का दुष्प्रेरण करता है, वह उपधारा (1) में यथा उपबंधित शास्ति से दण्डनीय होगा और ऐसा व्यक्ति इस अधिनियम की धारा 2 के खण्ड (14) के उपखण्ड (ट) के अधीन अयोग्य माना जायेगा। परन्तु ऐसे बालक को किन्हीं परिस्थितियों में विधि का उल्लंघन करने वाला नहीं माना जायेगा ओर उसे ऐसे संरक्षक या अभिरक्षक के भारसाधन या नियंत्रण से हटा लिया जायेगा और समुचित पुनर्वास के लिये बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जायेगा। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 के तहत बालक को मादक द्रव्य या नारकोटिक्स औषधि या मन:प्रभावी पदार्थ देने या दिलवाने पर सात वर्ष तक के कठोर कारावास तथा एक लाख रूपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।