बड़ौदा में भी नहीं हुआ इलाज, उज्जैन में हाथ कटने से बचाया, मिली नई जिंदगी
उज्जैन। कैंसर से पीड़ित युवक की न सिर्फ जान बची बल्कि उज्जैन में ही उसका हाथ कटने से भी बचा लिया गया। उक्त युवक को बड़ौदा में इलाज के लिए ले जाया गया था जहां चिकित्सकों ने हाथ काटने की सलाह दी थी। घबराए परिजनों ने उज्जैन में ही डाॅ. जेठवानी को दिखाया।
खाचरौद निवासी कैलाश उम्र 32 वर्ष पिछले 6 माह से बाएं हाथ में गठान की समस्या से पीड़ित था। जांच कराने पर पता चला कि उसे कैंसर की गठान है। उज्जैन के चिकित्सकों ने उसे बड़ौदा कैंसर अस्पताल की सलाह दी। बड़ौदा में जांच कराने पर पता चला कि उसके हाथ में तकरीबन 500 ग्राम की कैंसर की गठान है जो हाथ की मुख्य धमनी (ब्रेकियल अरटरी) तथा नसों में घुस गई है। बड़ौदा के चिकित्सकों ने उसे हाथ काटने की सलाह दी तथा ईलाज में दो से ढाई लाख खर्च बताया। उसके परिजनों ने उज्जैन के गुरूनानक अस्पताल में डाॅ. उमेश जेठवानी से संपर्क कर उसे दिखाया। डाॅ. उमेश जेठवानी ने मरीज का आॅपरेशन लिम्ब साल्वेज सर्जरी व माइक्रोवस्कुलर रिकन्स्ट्रकशन पध्दति से कर न केवल मरीज को कैंसर से निजात दिलाई बल्कि उसका हाथ भी कटने से बचाया। मरीज अब स्वस्थ है व उसका हाथ सामान्य व्यक्तियों की तरह काम कर रहा है। अभी तक इस तरह के कैंसर के जटिल आॅपरेशन महानगरों के कारपोरेट अस्पतालों व प्रमुख कैंसर संस्थानों में उपलब्ध थे व अमीर मरीज ही इसका लाभ उठा पाते थे। परंतु अब यह सुविधा उज्जैन में ही कम खर्च में उपलब्ध है।
लीवर व आंते फट गई, फिर भी बचा ली जिंदगी
वहीं मुकेश उम्र 38 वर्ष निवासी पचैर को एक्सीडेंट होने से गंभीर अवस्था में डाॅ. उमेश जेठवानी को दिखाया। मरीज का ब्लड प्रेशर 80/50 एमएम एचक्यू था। डाॅ. उमेश जेठवानी को दिखाया। डाॅ. उमेश जेठवानी ने मरीज की गंभीर अवस्था को देखते हुए तुरंत इमरजेंसी में आॅपरेशन किया। मरीज का तकरीबन 3.5 लीटर खून बह गया था। लीवर व आंते फट गई थी जिन्हें रिपेयर किया गया। मरीज को 5 यूनिट खून भी चढ़ाया गया। मरीज अब स्वस्थ है। एनेस्थेसिया डाॅ. विशाल मरमट की टीम ने दिया।