श्रावण महोत्सव की तीसरी संध्या पर शास्त्रीय गायन एवं नृत्य चर्तुधारा की प्रस्तुति
उज्जैन @ श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रतिष्ठित आयोजन अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2017 की तीसरी संध्या पर प्रथम प्रस्तुति उज्जैन के पं. उमेष भट्ट “आनंद“ के शास्त्रीय गायन की हुई। उसके पश्चात सुश्री टी.लक्ष्मी, तान्या, षिवालिका, लिप्सा द्वारा नृत्य चर्तुधारा की प्रस्तुति दी गयी।
पं. उमेष भट्ट “आनंद“ ने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत राग मारवा विलंबित एकताल में निबंद्ध बंदिष पिया मोरे अनत देस गइलवा..... से की, इसके पश्चात मारवा राग द्रुत एकताल में निबंद्ध छोटा ख्याल से श्री महाकाल भगवान की स्तुति जय-जय-जय महाकाल से की। आपने राग यमन कल्याण में मध्यलय तीनताल में दरसन देवो शंकर महादेव.....तथा प्रस्तुति के अंत में श्रावण माह की अनुभूति कराते हुए द्विगुणित दादरा बरसन लागी सावन बुंदिया.....की प्रस्तुति दी। आपके साथ श्री रामचन्द्र चैहान ने तबला पर एवं उज्जैन के श्री श्रीधर व्यास ने हारमोनियम पर तथा सुश्री संगीता व्यास ने तानपुरा पर प्रभावी संगत की।
इसके पश्चात उज्जैन के जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री बी. के श्रीवास्तव सपत्नीक, ध्रुपद गायक पद्मश्री श्री रमाकान्त गुंदेचा एवं श्री उमाकान्त गुंदेचा (गुंदेचा बंधु), द्वारा प्रस्तुति देने वाले कलाकारों एवं सहयोगी कलाकारों का सम्मान किया गया।
द्वितीय प्रस्तुति में देष की ख्याति प्राप्त 4 नृत्यांगनाओं द्वारा अलग-अलग नृत्य विधाओं में षिव शक्ति विषय (थीम) पर प्रस्तुति दी। चतुर्धारा नृत्य में कथक नृत्यांगना सुश्री षिवालिका कटारिया, ओडिसी की सुश्री लिप्सा सतपदी, कुचीपुड़ी की सुश्री टी. लक्ष्मी रेड्डी और भरतनाट्यम की सुश्री तान्या सक्सैना द्वारा एक साथ सुन्दर समन्वय स्थापित कर अपनी अभिनय एवं नृत्य से आकर्षक एवं शानदार प्रस्तुति दी। प्रस्तुति की शुरूआत ओंकार ध्वनि से हुई। चारों नृत्यांगनाओं ने ओंकार मंत्र के जाप का महत्व अपने नृत्य के माध्यम से बताया। उसके पश्चात ओडिसी की सुश्री लिप्सा सतपदी द्वारा शुद्ध ओडिसी नृत्य में पद्मश्री स्व. गुरू गंगाधर प्रधान द्वारा कोरियोग्राफ कियंे कोनारकान्ति में हस्तमुद्र एवं तत्कार माध्यम (फुटवर्क) से प्रस्तुत किया। आदिषंकराचार्य द्वारा रचित गंगा स्तुति को राग मलिका और ताल मंडी में भरतनाट्यम की सुश्री तान्या सक्सैना द्वारा प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति के अंत में जयदेव द्वारा रचित गीत गोविन्दम् पर आधारित दषावतारम् की प्रस्तुति दी गई, जो सुश्री रमा वैजनाथन द्वारा कोरियोग्राफ की गई है। जिसमें नृत्य, नाटक एवं अभिनय के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के दस स्वरूपों मत्स्य, कुर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परषुराम, श्री राम, बलराम, बुद्ध एवं कलियुग के अंत में आने वाले कलकी अवतार का वर्णन किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में ध्रुपद गायक पद्मश्री श्री रमाकान्त गुंदेचा एवं श्री उमाकान्त गुंदेचा (गुंदेचा बंधु), किन्नर अखाडंे के महामण्डलेष्वर श्री लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति के पूर्व समिति सदस्य श्री विभाष उपाध्याय एवं प्रस्तुति हेतु आये कलाकार पं. उमेष भट्ट “आनंद“ आदि द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान के समक्ष दीप-प्रज्जवलन कर किया गया। इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा संचालित श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के बटुकों द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। संचालन श्री दिनेश दिग्गज ने किया। श्रावण महोत्सव की चौथी संध्या 6 अगस्त को सुश्री रमा वैद्यनाथन के भरतनाट्यम एवं श्री अब्दुल हमीद लतीफ के वायलिन की प्रस्तुति होगी।