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सिंधी भाषा व समाज को एक माला में पिरोने का काम करें महिलाएं


उज्जैन @ सिंधी भाषा व सिंधी समाज को एक ज्ञान रूपी माला में पिरोने के लिए समाज की महिलाओं को आगे आना होगा। महिला सिंधी सम्मेलन को देशभर के हर प्रदेश, शहर, कस्बे में करते हुए महिलाओं को संगठित करना होगा। 

       यह बात शनिवार को इंदौर रोड़ स्थित केजीसी पर हुए भारतीय सिंधु सभा महिला के अधिवेशन मुख्य वक्ता के रूप में रविप्रकाश टेकचंदानी ने कही। प्रदेश व देश के कोने-कोने से 1200 से अधिक महिला शक्ति के रूप में सम्मेलन में भाग लेने हेतु उज्जैन पहुंची। कार्यक्रम में सिंधी समाज के संत आत्मदास महाराज भी विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उषा ठाकुर विधायक इंदौर ने कहा कि हमारे पूर्वजन्मों के कोई पुण्य होंगे तभी हमने भारत जैसी पुण्य भूमि पर जन्म लियया। उन्होंने सभी बहनों को संकल्प दिलवाया कि हम जियेंगे भारत भूमि के लिए, मरेंगे तो भारत भूमि के लिए। उन्होंने कहा भैया तुम बन जाओ सुभाषचंद्र बोस और महिलाएं बन जायें झांसी की रानी तो किसी भी देश की ताकत नहीं कि भारत की भूमि पर किसी की गलत निगाह पड़े। राष्ट्रीय अध्यक्ष वीणा भाटिया ने महिलाओं को आव्हान किया कि आज इस देश में बराबरी के भागीदारी निभा रहे हैं और अभी हमें आगे समाज में महिलाओं को ओर शिक्षित करना है और सिंधी समाज की महिलाओं को 100 प्रतिशत साक्षर बनाना हैं। प्रदेश अध्यक्ष महिला कविता ईसरानी ने कहा कि आज इस देश में महिला की भागीदारी सेनाओं में भी है। अब महिलाओं को पायलेट बनकर देश की उड़ान भरना है। इसलिए महिलाएं सिंधी समाज की अपने-अपने तरीके से अपने घर-परिवार व समाज को जागृत करें। शहर अध्यक्ष मोना चावला ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि आज सिंधु सभा का जो अधिवेशन हो रहा है उसमें शर की सिंधी समाज की महिलाओं का भी विशेष योगदान है। कार्यक्रम संयोजक प्रांतीय उपाध्यक्ष पुष्पा कोटवाणी ने कहा आज संपूर्ण विश्व में सिंधी समाज की महिलाओं ने अपना परचम फहराया है। सिंधी समाज का महिलाएं हर सेवा में समाज के साथ सभी कार्यक्रमों में देश की उन्नति में अपना विशेष योगदान देती है। देश में सिंधी समाज कभी भी भीख नहीं मांगता, वह मजदूरी से लेकर उद्योगपति तक पूरे विश्व में कीर्तिमान रच चुका है। संचालन मीना वाधवानी ने किया एवं आभार मोना चावला ने माना। कार्यक्रम में विशेष रूप से शहर की एकमात्र सिंधी पार्षद रिंकू बेलानी, नीलम माखीजानी, पुष्पा कोटवानी, मोना चावला, मीना वाधवानी, स्वामी गजरानी, हंसा राजवानी, सुनीता कोटवानी, लक्ष्मी खत्री, शिवा कोटवानी, रमेश सामदानी, दौलत खेमचंदानी, किशन भाटिया, दीपक राजवानी, गोपाल बलवानी आदि उपस्थित थे।

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