सांप को दूध पिलाने, हल्दी कुंकुं चढ़ाने से सांप मर सकते हैं
नागपंचमी पर कोई सपेरा सांपों का प्रदर्शन करे
तो तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दी जाये
उज्जैन । वन विभाग द्वारा नागपंचमी पर जनसामान्य से अनुरोध किया गया है कि जीवित सांपों को दूध पिलाने, हल्दी कुंकुं चढ़ाने के बजाय शिव प्रतिमा व शिवलिंग की पूजा की जाये। नागपंचमी पर यदि कोई सपेरा सांपों का प्रदर्शन करे तो इसकी सूचना वन विभाग को दूरभाष क्रमांक 0734-2512104 तथा मोबाइल नम्बर 8085050001 पर दी जाये। सांपों व दूसरे किसी भी वन्य प्राणी को पकड़ना, छेड़ना व प्रदर्शन करना वन्यप्राणी अधिनियम-1972 के तहत गैर-जमानती अपराध है। इसके तहत अपराधी को सात वर्ष तक कारावास व जुर्माना दोनों ही सजा का प्रावधान है।
वन मण्डलाधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत में प्रतिवर्ष नागपंचमी के पर्व पर लगभग 80 हजार सांप दूध पिलाने व उनकी पूजा के दौरान चढ़ाये जा रहे हल्दी एवं कुंकुं से एलर्जी, निर्जलीकरण, निमोनिया, चर्मरोग व फेंफड़ों के संक्रमण से मारे जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार सांप सरीसृप श्रेणी में आते हैं, अत: ये न तो दूध उत्पन्न कर सकते हैं न ही इसको पचा सकते हैं। सपेरे सांपों पर अत्याचार करते हैं तथा इनके विषदन्तों तथा विषग्रंथियों को क्रूरता के साथ निकाल लेते हैं, जिसके कारण सांपों में मुंह में सड़न व घाव पैदा हो जाता है व मुंह का आन्तरिक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। यही नहीं सपेरे सांप के मुंह को मजबूत धागों से सिल देते हैं। पिटारी में सांप अपना शरीर पूरा नहीं फैला पाता है, जिस कारण वह बीमार हो जाता है। प्राय: देखा गया है कि नागपंचमी पर सपेरे सांपों का प्रदर्शन करते हैं, जिससे सांप असहज महसूस करके चिड़चिड़ा हो जाता है और बाद में उन्हें सपेरे द्वारा शहर के आसपास के इलाकों में छोड़ दिया जाता है, जिससे सर्प व मानव के द्वंद की घटनाएं बढ़ जाती है और यही सर्पदंश का मुख्य कारण माना गया है।
सर्पदंश का प्राथमिक उपचार
वन मण्डलाधिकारी द्वारा जारी किये गये सूचना-पत्र के अनुसार सर्पदंश का प्राथमिक उपचार करने के लिये सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को शान्त रखें व उत्तेजना से बचायें। जिस अंग पर सांप ने काटा है उसे फ्रेक्चर हुए अंग की तरह थोड़ा भी हिलायें नहीं, इसे लकड़ी या स्केल की सहायता से बेंडेज अथवा कपड़े से बांध दें, जिससे रक्त प्रवाह धीमा हो सके। रोगी को तुरन्त नजदीकी अस्पताल में ले जाया जाये। संभव हो तो जिस सांप ने काटा है, उसे पहचानने की कोशिश की जाये व सर्पदंश के बाद उभरने वाले लक्षणों के बारे में चिकित्सकों को बताया जाये।
सांप काटे तो यह नहीं करें
सर्पदंश के बाद पीड़ित व्यक्ति को तंत्र-मंत्र व झाड़फूंक में लगाकर समय नष्ट नहीं करना चाहिये। रोगी को सोने नहीं दिया जाये, थकान और श्रम से बचाया जाये। सांप द्वारा काटे गये स्थान को न छीलें, न काटें और न ही मुंह से विष चूसने की कोशिश करें। साथ ही बर्फ अथवा गर्म पदार्थ का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर नहीं किया जाये।
सांपों से सुरक्षा के उपाय
सांपों से सुरक्षा के उपाय अपनाकर सर्पदंश से बचा जा सकता है। व्यक्ति का जमीन की अपेक्षा पलंग पर सोना अधिक सुरक्षित है। सांप को मारने की कोशिश नहीं की जाये एवं उनसे हमेशा दूर रहा जाये। अंधेरे में टॉर्च या लालटेन का उपयोग किया जाये। घरों में साफ-सफाई की उत्तम व्यवस्था रखी जाये। घरों में पानी की निकासी वाले स्थानों पर जालियां अवश्य लगायें। रात में हमेशा जूते पहनकर ही चलें। प्रमुख विषैले सांपों की पहचान करना सीखने से इनसे बचा जा सकता है।