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संभाग में 93 प्रतिशत बोवनी हुई


 

उज्जैन। उज्जैन संभाग में 93 प्रतिशत बोवनी की जा चुकी है। इस बार खरीफ में कुल
21 लाख 5 हजार हेक्टेयर रकबे में खरीफ बोवनी का लक्ष्य है। सर्वाधिक 15 लाख 98 हजार हेक्टेयर क्षेत्र
में सोयाबीन बोया जा चुका है। संभाग में सोयाबीन का कुल रकबा 17 लाख 20 हजार हेक्टेयर है। सोयाबीन
के बाद सबसे ज्यादा रकबा मक्का की फसल का है। कुल एक लाख 82 हजार हेक्टेयर में मक्का बुवाई के
लक्ष्य के विरूद्ध एक लाख 63 हजार भूमि में मक्का बोई जा चुकी है। वर्तमान में फसलों की स्थिति
अच्छी है। किसी प्रकार की कीटव्याधि से फसलें प्रभावित नहीं हैं।
संयुक्त संचालक कृषि श्री केडी पाण्डेय ने बताया कि उज्जैन संभाग में इस वर्ष मक्का व सोयाबीन
के अलावा उड़द, कपास, अरहर व मूंगफली की फसलें भी ली जा रही हैं। इस वर्ष उड़द की फसल 01 लाख
हेक्टेयर में अब तक बोई जा चुकी है। इसके अलावा कपास 34 हजार हेक्टेयर, अरहर तथा मूंग 23-23
हजार हेक्टेयर, मूंगफली 13 हजार हेक्टेयर में बोई गई है। संयुक्त संचालक ने बताया कि खरीफ फसलों के
लिये संभाग में उर्वरकों का पर्याप्त मात्रा में भण्डारण है। यूरिया की 20 हजार 503 मै.टन मात्रा भण्डारित
की गई है। डीएपी 8894 मै.टन, एनपीके 6618 मै.टन एवं एमओपी 02 हजार मै.टन मात्रा विभिन्न जिलों
में भण्डारित है। निजी क्षेत्रों में भी सभी प्रकार के उर्वरक उपलब्ध हैं।
खरीफ की फसलें 20 से 25 दिन की हो चुकी हैं। विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि यदि
किन्हीं क्षेत्रों में अतिवृष्टि से खेतों में पानी भरा है तो जलनिकासी की व्यवस्था अविलम्ब की जाये। खेत में
ज्यादा समय तक पानी भरा नहीं रहने दें। जहां सोयाबीन की फसल 15 से 25 दिन की हो गई है, उन

स्थानों पर खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है। इसके लिये फसल में बतर आने पर कोलपा चलायें। इसके
साथ ही खरपतवार नियंत्रण व अन्य विधियों से खड़ी फसल में उपयोगी खरपतवारनाशक रसायनों का
छिड़काव कृषि अधिकारी की सलाह अनुसार करें।
जिन क्षेत्रों में बारिश हो रही है, वहां पत्ती खाने वाली इल्लियों के प्रकोप की संभावनाएं हैं। इस
स्थिति में फसलों में कीटभक्षी पक्षियों को बैठने के लिये बर्डपर्च तथा फिरोमैन ट्रेप लगायें। मालवा क्षेत्र में
पिछले कुछ दिनों से सतत वर्षा हो रही है। ऐसी स्थिति में सोयाबीन फसल की पत्तियां खाने वाली इल्लियां
पत्तियां न खाते हुए फूलों एवं छोटी-छोटी फलियों को नुकसान पहुंचाती है। इससे अफलन की स्थिति बनने
की आशंका होती है। किसान अपनी फसल का सावधानी से निरीक्षण करें। सुनिश्चित करें कि उनकी फसल
में किसी प्रकार की इल्लियों का प्रकोप नहीं हो। इल्लियों का प्रकोप परिलक्षित होने पर सूक्ष्म जीव जैसे
ब्यूवेरिया बेसियाना (फफूंद) अथवा बेसिलस युरिजिएंसिस (बैक्टिरिया) अथवा एनपीवी आधारित कीटनाशक
का छिड़काव करें। पत्ती खाने वाली इल्लियों के प्रबंधन के लिये रायनेक्सिपायर 100 एमएल प्रति हेक्टेयर या
क्विनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्ब 300 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर
पानी में मिलाकर छिड़काव करें। सफेद मक्खी द्वारा पीला मोजेक रोग फैलाया जाता है। रोगग्रसित पौधों को
खेत से निकालकर नष्ट कर दें तथा सोयाबीन फसल की सफेद मक्खियों से रोकथाम के लिये इमिडाक्लोप्रिट
का 200 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
किसानों को विशेष रूप से यह सलाह भी दी गई है कि कीटनाशकों का उपयोग करते समय अपने
मुंह, नाक, कान को किसी कपड़े से ढंककर ही खेत में छिड़काव करें। साथ ही हवा के विपरीत दिशा में
छिड़काव नहीं करें।

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