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हर तरह के बिगड़े घोड़ों को काबू कर लेती है ये यंग गर्ल, अब टारगेट ओलिंपिक


भोपाल। ये हैं आयुषी गुप्ता। महज 11 साल की उम्र में आयुषी ने ऐसे पेशे में महारत हासिल कर ली, जिससे बड़े-बड़े लोग भी डरते हैं। घुड़सवार यानी जॉकी का पेशा आमतौर पर पुरुषों का ही माना जाता है, लेकिन आयुषी ने कम उम्र में ही इसे चुन लिया। अब वे अोलिंपिक में जाना चाहती हैं। 18 साल की आयुषी पिछले 7 सालों से हॉर्स राइडिंग की प्रैक्टिस कर रही हैं। आयुषी बहुत छोटी उम्र में ही बिगड़े घोड़ों को काबू करना सीख गई थीं।

 

मैंने अपने डर पर जीत पाई है-

बिजनेसमैन पिता की 12 वीं में पढ़ रही बेटी आयुषी बताती हैं, "जॉकी का पेशा हमेशा पुरुषों के लिए माना जाता था, लेकिन अब इस पेशे में यंग गर्ल्स भी आ रही हैं। शुरुआत में गिरने और चोट से डर लगता था, लेकिन अब नहीं। प्रोफेशनल की तरह जब मैं मैदान पर घोड़ा दौड़ाती हूं तो सबसे ज्यादा खुशी इस बात की होती है कि मैंने अपने डर पर जीत पा ली है।"

पहली बार गिरी तो पापा ने दिया हौसला

आयुषी ने बताया कि राइडिंग के दौरान जब पहली बार मैं घोड़े से गिरी थी, तो पापा ने मुझे हौसला दिया। उस वक्त मैं काफी डर गई थी। अगले दिन भाई ऐश्वर्य और पापा के साथ मैं वापस राइडिंग के लिए गई थी। उसके पापा बेटी के शौक और जज्बे को देखकर अपना काम छोड़कर साथ लगे रहते हैं। आयुषी कहती हैं कि अब तो मैं जब भी घोड़े से गिरती हूं, खड़े होकर वापस उसी घोड़े की सवारी के लिए तैयार हो जाती हूं। 

 

एनिमल्स के लिए प्रेम ले आया स्टड फार्म तक

आयुषी के मुताबिक, "बचपन से ही मैं एनिमल लवर रही हूं। मेरी ये खूबी पापा ने पहचानी और एक दिन मुझे हॉर्स राइडिंग के लिए ले गए। मेरा बड़ा भाई ऐश्वर्य सराफ नेशनल प्लेयर है, जिससे हॉर्स के बारे में सुनती रहती थी। 7-8 साल से मैं प्रैक्टिस कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि जल्द ही नेशनल, इंटरनेशनल और फिर ओलिंपिक गेम्स का हिस्सा बनूं।"


आराम करना मेरे लिए मुमकिन नहीं

आयुषी कहती हैं कि घुड़सवारी के दौरान कई बार चोट लगी, लेकिन कोई भी चोट मेरे हौसले और पापा के विश्वास को नहीं तोड़ पाई। चोट के बाद स्टड ओनर्स और कोच अक्सर आराम करने की सलाह देते हैं। आराम करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है। मैं अगले दिन फिर प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाती हूं।

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