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उज्जैन की ज्ञान परंपरा अनादि काल से विश्व विख्यात


भारतीय भाषा समिति और महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षण-प्रशिक्षण ज्ञान-विज्ञान संवर्धन केंद्र के तत्वावधान में दो दिनी राष्ट्रीय भारतीय भाषा अनुवाद कार्यशाला का मंगलवार को समापन हो गया।

कार्यशाला के संयोजक डॉ. अखिलेशकुमार द्विवेदी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कार्यशाला में 100 से अधिक विद्यार्थियों ने दोनों दिन अनुवाद की सरल पद्धति के विषय में प्रशिक्षण प्राप्त किया। समापन अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम के सत्राध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वायएस रमेश ने उद्बोधन में कहा ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन से अनुवाद की प्रक्रिया के विषय में विद्यार्थियों को ज्ञान प्राप्त होता है। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नईदिल्ली के डॉ. पवन व्यास ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा उज्जैन की ज्ञान परंपरा अनादि काल से विश्व विख्यात है।

अतः उज्जैन में ज्ञान की सारस्वत साधना सतत चलती रहनी चाहिए। कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में अध्येता के रूप में उपस्थित केतन पौराणिक ने अपना अनुभव कथन प्रस्तुत किया। संचालन समन्वयक डॉ. दिनेश चौबे ने किया। आभार वेद विभागाध्यक्ष डॉ. संकल्प मिश्र ने माना। कल्याण मंत्र के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।

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