वन्य प्राणियों के साथ जीवन भारतीय संस्कृति की विशेषता
उज्जैन- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि श्योपुर जिले में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की कल्पना साकार हो रही है। एशिया से 70 वर्ष पहले चीता प्रजाति चली गई थी। यहां वन्यप्राणियों के लिए स्थान आरक्षित कर विशेष प्रयासों से चीता पुनर्स्थापन हुआ है। एक समय था जब गांधी सागर क्षेत्र में भी चीते रहे होंगे क्योंकि वहां ऐसे चित्रांकन प्राप्त हुए हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ और अन्य कारण से विलुप्त हो रहे वन्य प्राणियों का संरक्षण संभव हो रहा है। मध्यप्रदेश टाइगर, गिद्द, तेंदूआ के साथ ही चीतों की संख्या की दृष्टि से देश में प्रथम है। वन्य प्राणियों के साथ जीवन जीना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। इस क्षेत्र के निवासी वन्य जीवन में रमे हैं। भगवान राम ने भी वन्य प्राणियों की सहायता से रावण जैसे राक्षस से संघर्ष कर इतिहास बनाया। काल के प्रवाह में अब यह संभव हुआ कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के लिए सभी धर्मों और विचारों के लोगों ने स्वागत कर समर्थन प्रदान किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादवन ने कहा कि वन्य प्राणी संरक्षण के साथ अर्थव्यवस्था में परिवर्तन भी लाया जा रहा है। इसके लिए सिर्फ वन विभाग पर निर्भर न होकर समस्त विभागों का सहयोग लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि पालपुर कूनो क्षेत्र में स्थानीय निवासियों की निर्धनता को समाप्त करने के लिए उन्हें विभिन्न रोजगारों से जोड़ा जा रहा है। पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों में उन्हें कार्य और रोजगार का अवसर दिया जा रहा है।