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कनाडा ने लौटाई 100 साल पहले चोरी हुई देवी की प्रतिमा, काशी में होगी स्‍थापना



काशी/टोरंटो । भारत के प्राचीन शहर काशी से 100 साल पहले चुराई गई एक ऐतिहासिक प्रतिमा को कनाडा सरकार ने वापस लौटा दी है। देवी अन्नपूर्णा की यह मूर्ति 100 साल पहले वाराणसी के एक घाट से चोरी हो गई थी। बीते 100 साल से यह प्रतिमा यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना के मैकेंजी आर्ट गैलरी का हिस्सा थी। विश्वविद्यालय ने बताया कि आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने सबसे पहले इस मूर्ति की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि 100 साल पहले इस मूर्ति को गलत तरीके से कनाडा लाकर मैकेंजी के संग्रहालय में शामिल किया गया है, जिसके बाद कनाडा सरकार ने इसे लौटाने का फैसला किया।

भारतीय उच्चायुक्त को सौंपी प्रतिमा
विश्वविद्यालय के उपकुलपति थॉमस चेस ने गुरुवार को एक समारोह में यह मूर्ति कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को सौंप दी। समारोह में मैकेंजी आर्ट गैलरी, ग्लोबल अफेयर्स कनाडा और कनाडा बार्डर सर्विसेज एजेंसी के लोग भी शामिल हुए थे। इस अवसर पर बिसारिया ने कहा कि हमें खुशी है कि देवी अन्नपूर्णा की यह अनोखी प्रतिमा भारत वापस जा रही है। मैं इस सांस्कृतिक प्रतीक को भारत को लौटाने के लिए रेजिना विश्वविद्यालय का धन्यवाद देता हूं। ऐसे सांस्कृतिक खजाने को स्वेच्छा से वापस करने का कदम भारत-कनाडा संबंधों परिपक्वता को दर्शाया है।

ऐसा है इस मूर्ति का इतिहास
दरअसल आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने जब प्रतिमा के पीछे की कहानी पर रिसर्च की तो पता चला कि नार्मन मैकेंजी 1913 में भारत आया था और तभी उसने देवी अन्नपूर्णा की इस प्रतिमा को देखा था। पीबॉडी एसेक्स म्यूजियम से जुड़े डॉ. सिद्धार्थ वी शाह ने मूर्ति की पहचान हिंदुओं की देवी अन्नपूर्णा के तौर पर की थी। मैकेंजी ने वर्ष 1936 में इस मूर्ति की वसीयत कराई और संग्रहालय में शामिल कर लिया। जब दिव्या का इस मूर्ति के बारे में विस्तृत जानकारी मिली तो उन्होंने अवैध रूप से कनाडा लाए जाने का मुद्दा उठाया। इस प्रतिमा में देवी अन्नपूर्णा को अपने एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए दर्शाया गया है।

- एक विश्वविद्यालय के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐतिहासिक गलतियों को सही करें और उपनिवेशवाद से विरासत को पहुंचे नुकसान की भरपाई करें। इस प्रतिमा को लौटाने से उस गलत काम का प्रायश्चित नहीं हुआ है जो एक सदी पहले किया गया था। हालांकि वर्तमान समय में ऐसा करना ना केवल उपयुक्त है बल्कि महत्वपूर्ण भी है। -थॉमस चेस, विवि के वाइस चांसलर

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