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सिपाही ने थाने में की दिव्‍यांग की पिटाई



लखनऊ: योगी सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद  यूपी में पुलिसकर्मियों का रवैया प्रशासन के लिए शर्मिंदगी का सबब बना हुआ है. पब्लिक के साथ दुर्व्यवहार का ताजा मामला कन्नौज जिले में सामने आया है. जहां पर एक पुलिस कर्मी ने अपनी गर्भवती पत्नी को ई-रिक्शा से अस्पताल ले जा रहे दिव्यांग व्यक्ति को सरेराह जलील किया और फिर थाने में लाकर भी पीटा. 

जानकारी के मुताबिक कन्नौज जिले के सौरिख थाना क्षेत्र में रहने वाले सुदीप एक पैर से दिव्यांग है. वे ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. सुदीप की पत्नी गर्भवती है. वे शुक्रवार को पत्नी को ई-रिक्शा पर बिठाकर अस्पताल चेकअप के लिए अस्पताल लेकर जा रहे थे. सदर बाजार पहुंचने पर उन्होंने कुछ खरीदने के लिए अपना ई-रिक्शा सड़क किनारे लगा दिया. आरोप है कि वहां ड्यूटी पर तैनात सिपाही किरन पाल ई-रिक्शा हटाने की बात कहकर उनसे गाली-गलौज करने लगा.

दिव्यांग सुदीप ने गाली देने का विरोध किया तो  सिपाही का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया. सिपाही ने दिव्यांग को चौराहे पर ही लात-घूंसों से जमकर पीटा. पति को पिटता देख पत्नी सिपाही के आगे हाथ जोड़कर छोड़ने की गुहार लगाती रही. लेकिन सिपाही को दया नहीं आई. मारपीट के बाद सिपाही दिव्यांग को घसीटता हुआ कोतवाली ले गया. इसके बाद उसने दिव्यांग को धक्का देकर जमीन पर पटक दिया.

हैरत की बात ये है कि उस दौरान थाना प्रभारी विजय वर्मा, दूसरे दरोगा और अन्य पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. लेकिन किसी भी दिव्यांग सुदीप के साथ गाली- गलौच और मारपीट कर रहे सिपाही किरनपाल को रोकने की जहमत नहीं उठाई. बुरी तरह पिटाई से घायल युवक के मुंह से खून  निकलने लगा. इसी दौरान किसी ने घटना का वीडियो बना लिया, जो बाद में वायरल हो गया.

जिले के एसपी ने पुलिस की भद्द पिटती देख सिपाही को लाइन हाजिर कर सरकारी औपचारिकता पूरी कर दी. लेकिन अपने सामने दिव्यांग को पिटवा रहे कोतवाल और दूसरे दरोगाओं के खिलाफ कोई एक्शन लेना जरूरी नहीं समझा. SP ने कहा कि थाना सौरिख पर दिव्यांग व्यक्ति  के साथ घटित दुर्भाग्यपूर्ण  घटना के संबंध में प्रभारी निरीक्षक सौरिख की रिपोर्ट प्राप्त होते ही सख्त कार्यवाही की गई. दिव्यांग के साथ दुर्व्यवहार करने वाले आरोपी आरक्षी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर  जाँच के आदेश दिए गए.

बता दें कि पुलिस में लाइन हाजिर करना कोई सजा नहीं माना जाता. यह एक प्रकार का आंतरिक तबादला होता है. जब किसी पुलिस कर्मी के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो लोगों का आक्रोश शांत करने के लिए उसे कुछ दिनों तक पुलिस शिफ्ट में शिफ्ट कर दिया जाता है. जहां पर वह थाने की रूटीन डयूटी से अलग पीटी- परेड करता है और कैदियों को जेल से अदालत लाने की डयूटी करता है. लोगों का गुस्सा शांत होने के बाद उस पुलिसकर्मी को फिर से थानों में तैनात कर दिया जाता है. 

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