कोरोना से बचाव के लिए अहम मानी जाने वाली एंटीबॉडी पर वैज्ञानिकों ने दिया चौंकाने वाला बयान
Corona संक्रमण से जो लोग सकुशल बच निकलते हैं, उसके पीछे उनके शरीर में एंटीबॉडी का विकसित होना बताया जाता है। एंटीबॉडी को इस अर्थ में बहुत अहम माना जाता है। लेकिन अब इसे लेकर भी वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली जानकारी दी है। इसके बाद तो कोरोना संक्रमण और इससे बचाव के तरीकों की परिभाषा ही बदल जाएगी। वैज्ञानिकों की यह राय ऐसे समय सामने आई, जब देशभर में नए मामले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं।कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए अभी दुनिया में कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है, पर बहुत लोग इस घातक वायरस को मात दे रहे हैं। इसके पीछे शरीर में एंटीबॉडी का बनना प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस पर कई वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर में एंटीबॉडी की मौजूदगी कोरोना से बचाव की गारंटी नहीं हो सकती है। इस वायरस से मुकाबले में एंटीबॉडी हमेशा कारगर नहीं हो सकता।
वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि वायरस पर एंटीबॉडी किस तरह असर डालते हैं। उनका अभी सिर्फ यही कहना है कि एंटीबॉडी बनना सिर्फ इस बात का संकेत है कि कोई व्यक्ति कोरोना से पहले ही संक्रमित हो चुका है। नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट इम्यूनोलॉजी के वैज्ञानिक सत्यजीत रथ ने कहा कि इस संदर्भ में अभी साक्ष्यों का इंतजार किया जाना चाहिए।
मरीज के शरीर में एंटीबॉडी की मौजूदगी बीमारी की प्रगति के बारे में कुछ नहीं बताती। जबकि पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज, एजुकेशन एंड रिसर्च की वैज्ञानिक विनीता बाल ने कहा कि एंटीबॉडी सिर्फ इस बात का संकेत है कि शरीर में कोरोना वायरस है, लेकिन यह इसे फैलने से रोक नहीं सकता।
अब तक पांच करोड़ कोरोना टेस्ट
कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए देश में अब तक चार करोड़ 95 लाख से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है। रविवार को सात लाख 20 हजार 362 सैंपल्स टेस्ट किए गए। एक दिन में 12 लाख से अधिक तक नमूनों की जांच हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले दो हफ्तों के दौरान एक करोड़ 33 लाख से ज्यादा नमूनों का परीक्षण किया गया है।