भारत में इसी महीने शुरू होगा रूसी वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल
भारत में कोरोना के मरीज रोज रिकॉर्ड संख्या में बढ़ रहे हैं। वैक्सीन बनाने की तमाम कोशिशें भी जारी हैं। इस बीच, खबर है कि रूस ने अपनी वैक्सीन का भारत में क्लीनिकल ट्रायल करने की तैयारी पूरी कर ली है। सबकुछ ठीक रहा तो इसी महीने से भारत में ट्रायल शुरू हो जाएगा। रूस भारत के अलावा सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फिलीपींस और ब्राजील में क्लीनिकल ट्रायल कर रहा है। रूस ने अपनी इस वैक्सीन को स्पुतनिक-5 नाम दिया है। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के सीईओ किरिल दिमित्रीएव ने यह जानकारी दी। वहीं चीन से खबर है कि उसने इस हफ्ते बीजिंग व्यापार मेले में अपनी स्वेदशी कोरोना वैक्सीन को पहली बार प्रदर्शित किया। इन्हें चीनी कंपनियों साइनोवैक बायोटेक और साइनोफार्म ने तैयार किया है। इनमें से कोई भी अभी बाजार में नहीं आई है, लेकिन निर्माताओं को उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक तीसरे चरण के ट्रायल पूरे होने पर उन्हें इसकी स्वीकृति मिल जाएगी।
किरिल ने कहा, अमेरिका में 30,000 लोगों पर एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल शुरू होने से पहले ही रूस में 26 अगस्त को रजिस्ट्रेशन के बाद के अध्ययन 40,000 लोगों पर शुरू हो गए थे। तीसरे चरण के ट्रायल के प्रारंभिक परिणाम अक्टूबर-नवंबर, 2020 में प्रकाशित किए जाएंगे।
किरिल ने कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से रूस का अहम साझीदार रहा है। दुनियाभर की 60 प्रतिशत वैक्सीन का उत्पादन भारत में ही होता है। रूस भारतीय साझीदारों की बेहद संतुलित सोच का स्वागत करता है जिनका शुरुआत से ही सवाल था कि वैक्सीन कैसे काम करती है। उन्होंने वैक्सीन को निशाना बनाने के बजाय इसे समझने की कोशिश की।
क्लीनिकल ट्रायल के 100 प्रतिशत प्रतिभागियों में स्पुतनिक-5 ने स्थायी ह्यूमोरल और सेल्युलर प्रतिरक्षा तंत्र उत्पन्न किया। जिन स्वयंसेवकों को स्पुतनिक-5 वैक्सीन दी गई, उनमें वायरस को निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडीज उन मरीजों से 1.4 से 1.5 गुना ज्यादा मिले जो कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं।