चीन-पाक के लिए अहम CPEC प्रोजेक्ट में बैंकों को नहीं रूचि
नई दिल्ली: जिस चाइना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भारी आस लगाए बैठे हैं, चीन के वित्तीय संस्थान और बैंक उसमें पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं है. पता चला है कि चीनी बैंक (Chinese banks) और वित्तीय संस्थान पाकिस्तान (Pakistan) के अस्थिर राजनीतिक माहौल के कारण इसमें निवेश करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
पिछले सप्ताह ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने चीन (China) यात्रा की और इस मुद्दे पर चीनी अधिकारियों के साथ चर्चा की.
चीन के लिए CPEC जहां एक गेमचेंजर साबित होने वाला प्रोजेक्ट है, वहीं पाकिस्तान के लिए यह एक लाइफटाइम अवसर की तरह है और शायद आर्थिक आधुनिकीकरण के लिए यह आखिरी मौका है. चीन को इस प्रोजेक्ट के जरिए विस्तार करने में बड़ी सफलता मिलेगी.
इस प्रोजेक्ट की क्षमता और इससे जुड़ी समस्याओं को लेकर वैश्विक स्तर पर खासी बहस हुई है. जिसके चलते पिछले छह महीनों से अरबों डॉलर की परियोजना रुचि और चिंता दोनों का ही कारण बनी हुई है.
इस बीच, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल देना बंद कर दिया है. रियाद ने इस्लामाबाद के लिए 'तेल पर ऋण' के प्रावधान को रोक दिया है. दरअसल, 2018 में पाकिस्तान ने सऊदी अरब से $ 6.2 बिलियन का कर्ज लिया था, इसमें से 3 बिलियन डॉलर की ऋण राहत नकदी के रूप में देनी थी और शेष 3.2 बिलियन डॉलर का तेल सालाना रियाद ने इस्लामाबाद को देने का फैसला किया था.
यह प्रावधान दो महीने पहले समाप्त हो गया और सऊदी अरब ने इसे नवीनीकृत नहीं किया. इसके बजाय उसने पाकिस्तान को उस नकद ऋण से $ 1 बिलियन का भुगतान करने के लिए भी मजबूर किया.
पाकिस्तानियों को चूना लगा रहीं हैं चीनी कंपनियां
वैसे यह ड्रीम प्रोजेक्ट हमेशा गलत कारणों से ही खबरों में रहा है. इस साल मई में, पाकिस्तान के बिजली क्षेत्र में नुकसान की जांच करने वाली एक समिति ने घोटाला पकड़ा है. घोटाले में चीन की बिजली उत्पादक कंपनियां हुआनेंग शेडोंग रुई एनर्जी (एचएसआर) और पोर्ट कासिम इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड भी शामिल हैं.
ये दोनों कंपनियां CPEC बिजली परियोजनाओं से जुड़ी हैं. जबकि उनके खिलाफ मानक प्रक्रिया का उल्लंघन करने और भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं. दोनों चीनी संयंत्रों ने अतिरिक्त मुनाफे के लिए अतिरिक्त सेट-अप लागत दिखाई है. वे 50 से 70 फीसदी तक का वार्षिक लाभ कमा रही थीं. जबकि इस लागत को पाकिस्तान के उपभोक्ताओं द्वारा वहन किया गया था.
दूसरी ओर पाकिस्तान में स्थित CPEC के अधिकांश वर्कर्स या तो सीधे या अप्रत्यक्ष तरीके से चीनी सेना के ही लोग हैं. वे मार्शल आर्ट और हथियार चलाने में प्रशिक्षित हैं. यही कारण है कि वे पाकिस्तानी स्थानीय लोगों के साथ झड़पों में शामिल हो जाते हैं और उनके साथ मार-पीट करते हैं.
पिछले साल चीन में पाकिस्तानी महिलाओं की तस्करी की खबरें भी आई थीं. मीडिया रिपोर्टों में पाकिस्तानी महिलाओं की चीन में तस्करी को लेकर चिंता भी जताई गई. बता दें कि 2013 में CPEC परियोजना शुरू होने के बाद से ही बड़ी संख्या में चीनी लोग विभिन्न परियोजनाओं पर काम करने के लिए पाकिस्तान में प्रवेश कर रहे हैं.
CPEC चीन के विशाल BRI इंफ्रास्ट्रक्र प्रोजेक्ट का प्रमुख घटक है. इन दोनों की ही 2015 में घोषणा की गई थी. वहीं चीनी औपनिवेशिक विस्तार के लिए ओट की तौर पर BRI का उपयोग करने के कारण इसकी भारी आलोचना भी की गई है.