Chandrayaan-2 को मिली एक और बड़ी कामयाबी, ISRO ने जारी किया बयान
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ने चांद की कक्षा में परिक्रमा लगाते हुए एक साल पूरा कर लिया है. इस मौके पर अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने मिशन से जुड़ा प्रारंभिक डेटा सेट जारी करते हुए बताया कि भले ही विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा, लेकिन ऑर्बिटर ने चंद्रमा के चारों ओर 4400 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं और सभी आठ ऑन-बोर्ड उपकरण अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. ऑर्बिटर में उच्च तकनीक वाले कैमरे लगे हैं, ताकि वह चांद के बाहरी वातावरण और उसकी सतह के बारे में जानकारी जुटा सके.
इसरो ने कहा कि सात और वर्षों के संचालन के लिए चंद्रयान-2 के पास पर्याप्त ईंधन है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह ठीक है और उसकी सभी उप-प्रणालियों का प्रदर्शन सामान्य है. ऑर्बिटर को आवधिक कक्षा रखरखाव (ओएम) मेन्योवर के साथ 100 +/- 25 किमी ध्रुवीय कक्षा (ध्रुवों के साथ चंद्रमा की परिक्रमा) में बनाए रखा जा रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, जब कोई भी उपग्रह या अंतरिक्ष यान किसी निश्चित कक्षा में अंतरिक्ष में होता है तो वह एक निश्चित सतह पर जोर-जोर से हिलता है और निर्धारित रास्ते से कुछ सौ मीटर या कुछ किलोमीटर आगे बढ़ जाता है.
इसरो ने बताया है कि ऑन-बोर्ड आठ वैज्ञानिक पेलोड का बेहतर इस्तेमाल किया जा रहा है. सीधे शब्दों में इसका मतलब है कि सूर्य की स्थिति के आधार पर, चंद्रमा की सतह पर रोशनी पूरे वर्ष अलग-अलग होगी. इसलिए जब पारंपरिक इमेजिंग कैमरे खराब रोशनी के कारण तस्वीर नहीं ले पाते, तब इसरो चांद की तस्वीरें लेने और अध्ययन के लिए कई उपकरणों का इस्तेमाल करता है.
इसरो के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में टेरेन मैपिंग कैमरा 2 (Terrain Mapping Camera-TMC 2) 220 कक्षाओं के दौरान, चंद्रमा क्षेत्र के लगभग 4 मिलियन वर्ग किमी की तस्वीरें लेने में सक्षम रहा है. TMC-2 को उच्चतम रिज़ॉल्यूशन वाला कैमरा कहा जाता है, जो वर्तमान में चंद्रमा के चारों ओर कक्षा में है. इन तस्वीरों से वैज्ञानिकों को चांद का अध्ययन करने में काफी सहायता मिलेगी.
भारत के दूसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई 2019 को किया गया था और एक साल पहले यानी 20 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. 7 सितंबर को चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम का इसरो से संपर्क टूट गया था. हालांकि, बाद में पता चला कि विक्रम ने चांद पर हार्ड लैंडिंग की है. इस मिशन को भौगोलिक स्थिति, खनिज विज्ञान, सतह रासायनिक संरचना, थर्मो-भौतिक विशेषताओं और लूनर एक्सोस्फीयर पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्यों के साथ लॉन्च किया गया था.
भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर बड़ी मात्रा में पानी और उप-सतह धुर्वीय पानी-बर्फ के संकेत खोजने का श्रेय जाता है. इसरो चंद्रयान-3 पर भी काम कर रहा है और इसके 2021 या उसके बाद लॉन्च होने की संभावना है.