इंदौर ने मारी चौथी बार बाजी, स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में बना नंबर-1
इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 अवार्ड में केंद्रीय नगरीय विकास एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब दिया गया है। और इसी के साथ इंदौर ने चौथी बार देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त किया है। स्वच्छता में इंदौर के चौका लगाने की घोषणा होने के बाद शहर के सभी लोगों सहित नगर निगम कर्मचारियों में खुशी छा गई है। भोपाल में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में शामिल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, इंदौर की महापौर मालिनी गौड़, इंदौर कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए। चौथी बार मिला अवार्ड उन सभी सफाई कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा है जो लगातार शहर को स्वच्छ रखने के काम में जुटे रहते हैं। ऐसे इनकी मेहतन से शहर फिर नंबर वन बना है...
कोरोना वायरस से लड़ाई के दौरान भी इंदौर शहर में लगातार होती रही सफाई
स्वच्छता के लिए नगर निगम के अधिकारियों और सफाईमित्रों ने कोरोना लॉकडाउन की भी परवाह नहीं की। मार्च में लॉकडाउन लागू होने से जून में अनलॉक-1 तक इंदौर शहर में लगातार सड़कों की सफाई हुई, रात में प्रमुख सड़कें रोज धुलीं, घर-घर से रोज कचरा लिया जाता रहा और सड़क किनारे लगे लिटरबिन भी खंगाले गए।
शहर में लगभग 5 लाख आवासीय और व्यावसायिक इकाइयां हैं जहां से निगम रोज कचरा उठाता है। निगम के लगभग 9 हजार सफाईकर्मियों ने पूरे शहर की सफाई व्यवस्था बनाए रखी। कचरा पहले की तरह सेग्रिगेट होता रहा। निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अखिलेश उपाध्याय ने बताया कि कोरोना के भय के माहौल में कर्मियों से काम कराना बड़ी चुनौती थी। तत्कालीन आयुक्त आशीष सिंह ने बुजुर्ग और बीमार कर्मियों को छुट्टी पर भेजा। जिन लोगों को सफाई कार्य में लगाया गया, उन्हें दस्ताने, मास्क, सैनिटाइजर जैसे सुरक्षा संसाधन दिए गए।
शुरुआत में सफाईकर्मियों की हिम्मत बढ़ाने के लिए खुद आयुक्त, स्वास्थ्य अधिकारी और सीएसआइ उनके साथ फील्ड पर रहते थे। इस दौरान शहर में बने 10 कचरा ट्रांसफर स्टेशन चालू रहे। निगम के अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा बताते हैं कि लॉकडाउन में 450 गाड़ियां घर-घर जाकर कचरा लेती रहीं। अधिकारी रोज समय पर सफाई का निरीक्षण कर अधिनस्थों को दिशानिर्देश देते रहे।
लॉकडाउन के दौरान घर-घर फल, सब्जी और राशन पहुंचाने की बात आई तो व्यवस्था बनाने को लेकर मंथन होता रहा। इसमें भी निगम की कचरा गाड़ियों ने प्रशासन की राह आसान कर दी। कलेक्टर मनीष सिंह ने घर-घर जरूरी सामान की सप्लाई के लिए निगम द्वारा स्थापित डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाली गाड़ियों के रूट को चुना।
ये गाड़ियां पूरे शहर को कवर करती हैं इसलिए हर नागरिक के पास फल, सब्जी और राशन पहुंचाना आसान हो गया। निगम की गाड़ियों के साथ इन वस्तुओं के ऑर्डर लेने के लिए एनजीओ कर्मी भेजे गए। शुरुआती चार-पांच दिन मांग और सप्लाई की व्यवस्था गड़बड़ाई, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया। लोगों को घर बैठे जरूरी सामान की आपूर्ति होने लगी। देश में अपनी तरह का यह प्रयोग था जिसे केंद्रीय टीम ने भी सराहा था।
नगर निगम के सफाईकर्मी वाल्मीकि जयंती के अगले दिन छुट्टी पर रहते हैं। पिछले तीन सालों से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए इस साल 14 अगस्त को वाल्मीकि जयंती पर फिर शहर के नागरिकों ने झाड़ू थामी। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, सभी आयु वर्ग के 6 हजार से ज्यादा लोग जुटे और 3 घंटे में शहर के 150 से ज्यादा स्थानों को साफ कर दिया। इनमें जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी, रहवासी संघ, व्यापारी एसोसिएशन, निजी कंपनियों के कर्मी भी शामिल रहे।
शहर में कोरोना संक्रमण के फैलाव से डरे कुछ स्वास्थ्यकर्मी अस्पतालों से चले गए या छुट्टी ले ली। ऐसे में संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले कर्मियों की कमी होने लगी। तत्कालीन निगमाआयुक्त की पहल पर निगम स्वास्थ्य विभाग के 30 कर्मियों को उनकी सहमति के आधार पर चुना गया। ये कर्मी रोज पूरे सुरक्षा संसाधनों के साथ अस्पताल जाते। मरीजों को चाय, नाश्ता और खाना देते और अस्पतालों में सफाई करते थे। यह सिलसिला अप्रैल और मई में चला। बाद में ये कर्मी अपने मूल काम पर लौट आए। प्रशासन ने उत्साह बढ़ाने के लिए ऐसे कर्मियों को अतिरिक्त राशि भी दी। यह प्रयोग अपने आपमें काफी अनूठा रहा।