पद्म विदूषण शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का निधन, न्यू जर्सी में ली आखिरी सांस
दिग्गज भारतीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज नहीं रहे। उन्होंने अमेरिका के न्यू जर्सी में आखिरी सांस ली। जसराज भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक थे। उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने यह जानकारी दी है। दुर्गा ने बताया कि, 'बड़े दुख के साथ हमें यह सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यू जर्सी में सुबह 5:15 बजे अपनी कार्डिअक अरेस्ट के चलते अंतिम सांसें लीं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण उनका स्वर्ग में प्यार से स्वागत करें जहां अब पंडित जी ओम नमो भगवते वासुदेवाय सिर्फ अपने प्यारे भगवान के लिए गाएंगे। हम प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को हमेशा संगीत में शांति मिले'। प. जसराज ने संगीत दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विदूषण सम्मान दिया गया था। उनके निधन पर लोक संगीत गायिका मालिनी अवस्थी ने दुख प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा कि मूर्धन्य गायक, मेवाती घराने के गौरव पद्मविभूषण पंडित जसराज जी नही रहे। आज अमरीका में उन्होंने अंतिम सांस ली। संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है! विनम्र श्रद्धांजलि!
पंडित जसराज, मेवाती घराने से ताल्लुक़ रखते थे। उन्होंने अपने पिता से संगीत सीखा था। 14 साल की उम्र से ही उन्होंने म्यूज़िक सीखने शुरू कर दिया था। जसरात दिन में करीब 14 घंटे रियाज़ किया करते थे। पंडित जसराज अपने जीवन काल में पद्म विभूषण, पद्म श्री संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार आदि सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। पंडित जसराज का जाना संगीत की दुनिया के लिए एक बड़ा खालीपन है। उनके निधन के बाद फैंस काफी भावुक हैं और इसे एक युग का अंत बता रहे हैं। देखें सोशल मीडिया पर फैंस कैसे दे रहे पंडित को श्रद्धांजलि।
जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को एक ऐसे परिवार में हुआ जिसे 4 पीढ़ियों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक से बढ़कर एक शिल्पी देने का गौरव प्राप्त था। उनके पिताजी पंडित मोतीराम जी स्वयं मेवाती घराने के एक विशिष्ट संगीतज्ञ थे। जसराज का संबंध मेवाती घराने से रहा।
जसराज जब चार वर्ष उम्र में थे तभी उनके पिता पण्डित मोतीराम का देहांत हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पंडित मणिराम के संरक्षण में हुआ। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया है।
जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया। उनके कुछ शिष्य संगीतकार भी बने। उन्होंने बाबा श्याम मनोहर गोस्वामी महाराज के सान्निध्य में 'हवेली संगीत' पर व्यापक अनुसंधान कर कई नवीन बंदिशों की रचना भी की है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान है।