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नई शिक्षा नीति को मंजूरी, 10+2 के ढांचे को 5+3+3+4 में बदला जाऐगा


National Education Policy 2020: मोदी कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसमें स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक में आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। स्कूली शिक्षा के स्वरूप में जो सबसे बड़ा बदलाव आया है, वो है 10+2 के ढांचे को 5+3+3+4 के चार स्तर में बदला जाना। नई व्यवस्था के तहत 5 साल के पहले चरण में 3 साल आंगनवाड़ी या प्री-स्कूल और 2 साल पहली व दूसरी कक्षा की पढ़ाई होगी। इसके बाद तीसरी से पांचवीं कक्षा, छठी से आठवीं कक्षा और नौवीं से 12वीं कक्षा के तीन स्तर रहेंगे। तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा में संबंधित अथॉरिटी द्वारा परीक्षाओं का आयोजन होगा। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं होती रहेंगी।

स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य स्तर पर स्कूल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी गठित की जाएगी। गली-मोहल्लों में खुले कम गुणवत्ता वाले स्कूलों पर नजर रखी जाएगी। राज्य की खूबियों और जानकारियों के आधार पर सभी राज्य अपना पाठ्यक्रम तैयार करेंगे। सभी स्थानीय भाषाओं में स्कूली किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर फोकस रहेगा।

उच्च शिक्षा का स्तर होगा और ऊंचा
- उच्च शिक्षा में विषयों के क्रिएटिव कॉम्बिनेशन के साथ छात्रों को बीच में विषय बदलने का मौका मिलेगा

- विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से मिले क्रेडिट का लेखजोखा रखने के लिए डिजिटल स्तर पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाया जाएगा। फाइनल डिग्री में इन क्रेडिट को जोड़ा जा सकेगा

- उच्च शिक्षा में शोध की संस्कृति और क्षमता बढ़ाने के लिए सर्वोच्च संस्था के तौर पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जाएगा

- मेडिकल और लीगल के अलावा पूरी उच्च शिक्षा को एक दायरे में लाने के लिए हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया का गठन होगा

- सरकारी और निजी सभी उच्च शिक्षण संस्थानों पर एक ही तरह के नियम और मानक लागू होंगे

- सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक प्रवेश परीक्षा होगी, जिससे छात्रों का समय और धन दोनों बचेगा

टिचिंग के मानक भी बदलेंगे

- 2030 तक अध्यापन के लिए 4 साल की न्यूनतम इंटीग्रेटेड बीएड की डिग्री जरूरी की जाएगी

- इच्छुक वरिष्ठ एवं रिटायर्ड अध्यापकों का बड़ा पूल बनेगा, जो यूनिवर्सिटी व कॉलेज के अध्यापकों को पेशेवर सहयोग देंगे

- अध्यापकों के लिए कॉमन नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स तैयार किए जाएंगे। एनसीईआरटी, एससीईआरटी, अध्यापकों एवं विशेषज्ञ संस्थानों से चर्चा के आधार पर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन इसे तैयार करेगा

कुछ अन्य अहम बातें
- कला और विज्ञान संकाय के बीच, शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के बीच, वोकेशनल व एकेडमिक स्ट्रीम के बीच कोई सख्त बंटवारा नहीं होगा

- कक्षा पांच तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा और स्थानीय भाषा में पढ़ाई होगी। इसके बाद की कक्षाओं में भी इसे प्राथमिकता में रखा जाएगा

- स्कूल और उच्च शिक्षा में संस्कृत का विकल्प मिलेगा। सेकेंडरी लेवल पर कोरियाई, स्पेनिश, पुर्तगाली, फ्रेंच, जर्मन, जापानी और रूसी आदि विदेशी भाषाओं में से चुनने का भी मौका होगा

- सभी राज्यों/जिलों को डे-टाइम बोर्डिंग स्कूल के रूप में "बाल भवन" बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें कला, करियर और खेल से जुड़ी गतिविधियां होंगी

- छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों का लेखाजोखा रखने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल बनेगा, निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को भी मुफ्त शिक्षा एवं छात्रवृत्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा

- महामारी के कारण उपजी स्थिति को ध्यान में रखते हुए नीति में यह प्रस्ताव भी है कि जहां शिक्षा के पारंपरिक तरीके संभव नहीं हों, वहां वैकल्पिक माध्यमों को बढ़ावा दिया जाए

- शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले खर्च को जीडीपी के छह फीसद तक लाने का लक्ष्य। अभी यह जीडीपी के चार फीसद के बराबर है।

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