Rafale Jet ने भरी भारत के लिए उड़ान, पहुंचेंगे अंबाला एयरबेस
जिस Rafale Fighter Jet का लंबे समय से इंतजार हो रहा था वो भारत आ रहे हैं। इस एडवांस फायटर जेट के 5 जेट्स की पहले खेप ने फ्रांस के Istres से भारत के लिए उड़ान भर ली है और यह आज ही भारत पहुंच जाएंगे। अपनी इस 10 हजार किमी लंबी उड़ान के दौरान यह जेट्स यूएई के अबुधाबी में कुछ समय रुकेंगे और फिर से भारत के लिए रवाना हो जाएंगे। इसमें खास बात यह है कि इन जेट्स को भारतीय फायटर पायलट्स ही उड़ाकर ला रहे हैं। इन 5 जेट्स को 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पर तैनात कर दिया जाएगा। संभवतः इन्हें अगस्त के दूसरे हफ्ते में वायुसेना का आधिकारिक हिस्सा बना लिया जाएगा।
मई में मिलनी थी खेप
भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल जेट खरीद सौदे 2016 के अनुसार भारत को राफेल विमानों की पहली खेप मई 2020 में मिलनी थी। कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में हुए लॉकडाउन के चलते डिलेवरी अवधि में मामूली बदलाव हुआ है और आखिरकार यह भारत आ रही है। ।
जानिए क्या हैं राफेल की खासियतें
जहां तक राफेल की खासियतों की बात है तो यह बेहद ही एडवांस फायटर जेट है। इस जेट को डसॉल्ट कंपनी ने बनाया है और इसकी लंबाई 15.27 मीटर है और इसमें एक या दो पायलट बैठ सकते हैं। राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 तक किमी प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है। यह ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है और एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। हालांकि अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है। विमान में ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है। इसमें 1.30 mm की एक गन लगी होती है जो एक बार में 125 राउंड गोलियां निकाल सकती है।
इसमें बेहद ही घातक एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें लगी रहती हैं। इसमें थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा होता है। साथ ही इसमें ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी लगा है।
चीन के अति उन्नत फाइटर जेट चेंगदू-जे-20 पर बहुत भारी
खास बात यह कि राफेल विमान चीन के सबसे उन्नत लड़ाकू विमान चेंगदू-जे-20 से बहुत बेहतर है। चीन का यह लड़ाकू विमान बड़े आकार के कारण पिछले हिस्से से राडार की पकड़ में आ जाता है जबकि राफेल के साथ ऐसा नहीं होता है। मारक क्षमता में भी चेंगदू-जे-20 से राफेल बहुत बेहतर है।
चेंगदू-जे-20 विमान चीन का पांचवी पीढ़ी का स्टील्थ विमान है। चीन की रक्षा एजेंसियां द्वारा विकसित इस विमान ने पहली उड़ान 2011 में भरी थी। 2017 में इसे वायुसेना में शामिल किया गया था। 2018 में इसकी कांबैट यूनिट बनाई गई थी। कई तकनीकी खामियों के कारण पश्चिम देशों के पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों से कमतर है।
वहीं राफेल भी पांचवी पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है। इसमें लगाई गई मिसाइल ज्यादा मारक क्षमता वाली हैं। इसका बेहतरीन राडार सिस्टम 200 किमी के दायरे में निगरानी रख सकता है। इसके अलावा इसकी बहुत सी खूबियां इसे अपने प्रतिद्वंद्वी से बहुत आगे रखती हैं।