मन की बात : पीएम मोदी ने याद दिलाया गांधी जी का मंत्र
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 11 बजे 'Mann Ki Baat' कार्यक्रम के 67वें संस्करण में लोगों को संबोधित कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके इस कार्यक्रम में चर्चा के लिए लोगों से अपने विचार मांगे थे। कोरोना संकट की वजह से लगे लॉकडाउन और अनलॉक के दौर में प्रधानमंत्री का यह पांचवां 'मन की बात' कार्यक्रम है। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने कारगिल विजय दिवस की चर्चा से की। उन्होंने कहा आज 26 जुलाई है और आज की तारीख बेहद विशेष है।
पीएम ने कहा कि आज 26 जुलाई है, आज का दिन बहुत खास है। आज ‘कारगिल विजय दिवस’ है। 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था। कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो भारत कभी नहीं भूल सकता। पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मनसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आन्तरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था।
आप कल्पना कर सकते हैं, ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेना, हमारे वीर जवान। लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं के ऊंचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई साथियों, उस समय मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला। वो दिन मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है।
मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है, कि आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियां, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएं, शेयर करें। मैं,आज सभी देशवासियों की तरफ से हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उनकी माताओं को भी नमन करता हूं, जिन्होंने, मां-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया।
पूर्व पीएम अटल बिहारी की बात भी याद दिलाई
साथियों, मैं आपसे आग्रह करता हूं http://gallantryawards.gov.in वेबसाइट पर आप जरूर विजिट करें, वहां आपको हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं और उनके पराक्रम के बारे में बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होंगी। साथियों, कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था, वो, आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है। कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से देश को गांधी जी के एक मंत्र की याद दिलाई थी। महात्मा गांधी का मंत्र था कि यदि किसी को कभी कोई दुविधा हो कि उसे क्या करना है, क्या नहीं तो उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए। उसे यह सोचना चाहिए कि वह जो करने जा रहा है, उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं।
अटल जी ने कहा था कि कारगिल युद्ध ने हमें एक दूसरा मंत्र दिया है- ये मंत्र था, कि कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले, हम ये सोचें कि क्या हमारा ये कदम, उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है, जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी। युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए।
कई मोर्चों पर लड़ा जा रहा है युद्ध
कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना सोशल पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं, जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती हैं। कभी-कभी जिज्ञासा वश फॉरवर्ड करते रहते हैं। पता है कि यह गलत है, फिर भी करते रहते हैं। आजकल, युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है और हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है।
कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है
पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने, अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है। आज, हमारे देश में मरीजों की रिकवरी रेट अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है। साथ ही हमारे देश में कोरोना से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफी कम है।
कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। चेहरे पर मास्क लगाना, दो गज की दूरी, लगातार हाथ धोना, कहीं पर भी थूकना नहीं, साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना। यही हमारे हथियार हैं, जो हमें कोरोना से बचा सकते हैं। मैं, आप से आग्रह करूंगा, जब भी आपको मास्क के कारण परेशानी लगे और उसे उतार देने का मन करता हो, तो पल-भर के लिए उन डॉक्टर्स का स्मरण कीजिए, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिए।
आपदा को अवसर में बदला
सकारात्मक नजरिये से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में मदद मिलती है। हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं, कि कैसे देश के युवाओं-महिलाओं ने अपने कौशल के दम पर कुछ नए प्रयोग शुरू किए हैं। बिहार में कई महिला स्वयं सहायता समूह ने मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क बनाने शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब लोकप्रिय हो गए। ये मधुबनी मास्क एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को स्वास्थ्य के साथ रोजगार भी दे रहे हैं।
वहीं, पूर्वोत्तर में बाँस बड़ी मात्रा में होता है। अब, इसी बांस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने उच्च गुणवत्ता की पानी की बोतल और टिफिन बॉक्स बनाना शुरू किया है। आप देखेंगे तो भरोसा नहीं होगा कि बांस की बोतलें भी इतनी शानदार हो सकती हैं। साथ ही ये इको-फ्रेंडली भी होते हैं।
रक्षाबंधन अलग तरीके से मनाने का चल रहा है अभियान
साथियों, अभी कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है। मैं इन दिनों देख रहा हूँ कि कई लोग और संस्थायें इस बार रक्षाबंधन को अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहें हैं। कई लोग इसे वोकल फॉर लोकल से भी जोड़ रहे हैं और बात भी सही है। साथियों, 7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे है। भारत का हैंडलूम, हमारा हैंडीक्राफ्ट, अपने आप में सैकड़ों वर्षों का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए है। हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि हम न सिर्फ भारतीय हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट का इस्तेमाल करें, बल्कि इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताएं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस और आने वाले अन्य पर्वों की बधाई दी।
साफ-सफाई का ध्यान रखें, आयुर्वेदिक काढ़ा लें
मेरे प्यारे देशवासियों, इस समय बारिश का मौसम भी है। पिछली बार भी मैंने आप से कहा था कि बरसात में गंदगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ जाती है इसलिए आप, साफ-सफ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें। इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें, आयुर्वेदिक काढ़ा वगैरह लेते रहें। कोरोना संक्रमण के समय में हम अन्य बीमारियों से दूर रहें। हमें, अस्पताल के चक्कर न लगाने पड़ें, इसका पूरा ख्याल रखना होगा।
इससे पहले 28 जून को प्रधानमंत्री ने मन की बात में चीन को करारा जवाब देते हुए कहा था- 'भारत की तरफ आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है, अगर भारत दोस्ती निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर उचित जवाब देना भी जानता है।'