23 जुलाई, आज धरती के नजदीक होगा दुर्लभ धूमकेतु, फिर 6400 साल बाद होगा ऐसा
दुर्लभ धूमकेतु 23 जुलाई को यह पृथ्वी के सबसे करीब होगा। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसे NEOWISE नाम दिया है। यह कितना दुर्लभ है, इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब यह साढ़े छह हजार साल बाद नज़र आएगा। यानी वर्तमान में जीवित लोगों की हजारों पीढि़यां बीत जाएंगी तब यह दिखाई देगा। नीली और हरी रोशनी वाले इस धूमकेतु को बीती 27 मार्च को खोजा गया था। 3 जुलाई को यह सूर्य का चक्कर लगाकर सीधा पृथ्वी की ओर चला आ रहा है। हालांकि अंतरिक्ष की भाषा में करीब भी बहुत दूर होता है। 23 जुलाई को इसकी धरती से दूरी 200 मिलियन किमी की रह जाएगी। यानी 20 करोड़ किलोमीटर। यह पृथ्वी और चांद की दूरी का सैकड़ों गुना अधिक फासला है। चांद हमसे 3 लाख किमी दूर है।
वर्तमान में यह अभी पृथ्वी से यह करीब 132 मिलियन किमी की दूरी पर है। जब यह पृथ्वी के करीब से गुजरेगा तब इसकी चमक उतनी नहीं रह जाएगी जो अभी नज़र आ रही है। यह थोड़ी कम हो जाएगी। जैसे-जैसे यह सूर्य से दूर होगा, इसकी लंबी पूंछ भी छोटे आकार की नज़र आने लगेगी। धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहा जाता है। इनकी पूंछ धूल, बर्फ, चट्टान आदि का जोड़ होता है जो सूर्य की रोशनी के संपर्क में आकर चमक उठता है। 20 जुलाई तक यह बुध ग्रह की कक्षा में दाखिल हो चुका था। गत 3 जुलाई को सूर्य के सबसे निकट था। इसका सिस्टम यह है कि हमारे सौर मंडल की भीतरी कक्षाओं को पूरा करने में इसे पूरे साढ़े चार हजार साल लग जाते हैं, यह स्थिति भी तब है जब इसकी रफ्तार 40 मील प्रति सेकंड है। बाहरी कक्षाओं को पार करने में इसे पूरे साढ़े छह हजार साल लग जाएंगे।
पूरे जुलाई में नज़र आएगा
इस धूमकेतु की खास बात यह है कि इसे जुलाई में पूरे महीने देखा जा सकेगा। यूरोप में इन दिनों इसे देखने के लिए जबर्दस्त धूम मची है। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसकी चमक पूरे माह बने रहने की संभावना है। इससे पहले वर्ष 1990 में ऐसी ही चमक वाला धूमकेतु देखा गया था। हालांकि भारत में इन दिनों मानसून सीजन चल रहा है, ऐसे में आकाश बादलों से भरा होने के चलते यहां इसे देख पाना कठिन है।
अंधेरे वाले इलाके में साफ दिखाई देगा
इस धूमकेतु को रोशनी की चकाचौंध वाले शहरों से देखना संभव नहीं है। इसे देखना है तो आपको अंधेरे क्षेत्र में जाना ही होगा। चूंकि इस समय यह सूर्य से धरती के करीब आ रहा है तो इसे सूर्य की दिशा में ही देखा जा सकेगा। इसका मतलब यह है कि इसे सूर्योदय और सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक देखा जाना संभव है। आसमान में यह नक्षत्र ऑरिगा के क्षेत्र में स्थित है।
Comet NEOWISE अब सीधे साढ़े छह हजार साल बाद नजर आएगा, इसलिए इसे अब हर एंगल से कैमरे में कैद करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके चलते राष्ट्रीय स्तर पर फोटोग्राफी प्रतियोगिता शुरू हुई है जो 5 अगस्त तक चलेगी। यह धूमकेतु भी 5 अगस्त तक ही नज़र आएगा। धूूमकेतु NEOWISE की छबियों को कैमरे में में कैद करने के लिए एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट ऑफ इंडिया राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता कराने जा रहा है। C 2020 एफ-3 धूमकेतु अगले कुछ दिन नग्न आंखों से देखा जा सकेगा। प्रतियोगिता में फोटो भेजने की अंतिम तिथि 5 अगस्त है। एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट ऑफ इंडिया के सदस्य एमेच्योर एस्ट्रोनॉमर गुरुग्राम हरियाणा निवासी अजय तलवार ने बताया कि एस्ट्रो फोटोग्राफर्स के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर है। 14 जुलाई से यह धूमकेतु दिखाई दे रहा है और 5 अगस्त तक इसके दिखने की संभावना है।
यह है प्रतियोगिता के नियम
ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से सबसे बेहतर चित्र लिए जा सकते हैं। उत्तराखंड में एस्ट्रोफोटोग्राफी की बेहतर संभावनाएं है। प्रतियोगिता की डिटेल साइट में दी गई है। इस प्रतियोगिता की ज्यूरी में वह जज भी हैं। प्रतियोगिता दो आयु वर्ग में आयोजित की जा रही है। बाल वर्ग में 15 साल तक व दूसरा वयस्क वर्ग निर्धारित है। प्रतियोगिता शुरू हो चुकी है।
सूर्य का चक्कर लगाकर आ रहा है, अब 6400 साल बाद लौटेगा
नैनीताल स्थित आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार यह धूमकेतु तीन जुलाई को सूर्य का चक्कर लगाकर धरती की ओर आ रहा है। 23 जुलाई को वह धरती के नजदीक आकर अपने पथ पर आगे बढ़ जाएगा। दोबारा यह धूमकेतु 6400 साल बाद देखने को मिलेगा। इस धूमकेतु को लेकर दुनिया में इन दिनों उत्सुकता बनी हुई है। इस धूमकेतु को मार्च में खोजा गया था। इन दिनों सूर्यास्त के बाद कुछ मिनट के लिए इसे देखा जा सकता है। इसकी लंबी पूंछ चमक लिए स्पष्ट नजर आ रही है।