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जानिये क्‍या मतलब है आर्थिक पैकेज में पीएम मोदी के 4L का



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के दौर में इकोनॉमी को सहारा देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के बड़े पैकेज देने का ऐलान किया है. मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम ने कई सेक्टर में बोल्ड सुधार करने के भी संकेत दिए हैं. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि इस पैकेज में Land, Labour, Liquidity और Laws (यानी चार L) पर जोर होगा.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, '20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा. आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में Land, Labour, Liquidity और Laws, सभी पर बल दिया गया है.'

आइए जानते हैं कि इस बारे में इंडस्ट्री की क्या मांग है. असल में दशकों से भारतीय इंडस्ट्री जगत का रोना रहा है कि देश में कारोबार करना आसान नहीं है और भूमि अधिग्रहण से लेकर जटिल श्रम कानूनों, नकदी की कमी, अंग्रेजों के जमाने के कानूनों जैसी तमाम अड़चनें हैं. इनमें मनमोहन सिंह के जमाने से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार तक में तमाम बदलाव किए गए हैं, लेकिन कारोबार-उद्योग जगत पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है और तमाम इंडस्ट्री चैंबर्स समय-समय पर इनमें सुधार की मांग करते रहे हैं.

1. लैंड रिफॉर्म्स
इंडस्ट्री के लोग यह चाहते हैं कि किसी कारखाने को खोलने आदि के लिए जरूरी जमीन का अधिग्रहण आसान बनाया जाए. हाल में कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने 1961 के लैंड रिफॉर्म्स एक्ट में बदलाव कर इंडस्ट्रीज को सीधे किसानों से जमीन खरीदने का अधिकार दे दिया है, जिसकी किसान संगठन आलोचना भी कर रहे हैं. प्रॉपर्टी में जो सेल डीड या कॉन्ट्रैक्ट होता है उसमें स्वामित्व की गारंटी नहीं होती. इंडस्ट्री इसमें भी बदलाव चाहती है. भूमि से जुड़े कानूनों में राज्य सरकारें ही बदलाव कर सकती हैं.

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2. लेबर रिफॉर्म्स यानी श्रम सुधार
लेबर रिफॉर्म्स यानी श्रम कानूनों में सुधार करने की इंडस्ट्री जगत की लंबे समय से मांग रही है, जिस पर हाल में यूपी, एमपी, गुजरात, राजस्थान सरकार ने कोरोना संकट के दौर में बड़े कदम उठाए हैं. इंडस्ट्री चाहती है कि लोगों को हायर ऐंड फायर यानी नौकरी पर रखना और निकालना आसान हो, काम के घंटे बढ़ाए जाएं, इस मामले में नौकरशाही की दखल कम हो. ये कानून राज्यों के स्तर पर बदले जा रहे हैं, ऐसा लगता है कि अब केंद्र के स्तर पर भी इस दिशा में कोई ऐलान किया जाएगा.

3. लिक्विडिटी यानी नकदी का प्रवाह
इंडस्ट्री को आगे बढ़ने के लिए सबसे बुनियादी चीज यही है कि उसे पर्याप्त पूंजी मिलती रहे. लेकिन हाल के वर्षों के आर्थिक संकट, बैंकों में घपले, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कर्ज संकट आदि की वजह से कॉरपोरेट को पूंजी हासिल करने की समस्या से जूझना पड़ रहा है. हाल के दिनों में रिजर्व बैंक ने सिस्टम में नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए करीब 4.74 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. पीएम मोदी इसी की ओर संकेत कर रहे थे और आने वाले दिनों में ऐसे और पैकेज की घोषणा की जा सकती है.

4. Laws यानी कानून सरल बनाना
इंडस्ट्री जगत की लगातार यह मांग रही है कि भारत में कानूनों की जटिलता खत्म की जाए और इन्हें सरल किया जाए ताकि कारोबार करने में आसानी हो. ऐसे तमाम कानून तो अंग्रेजों के जमाने से चल रहे हैं और भारत में लाइसेंस राज, इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा देने वाले रहे हैं. मोदी सरकार ने ऐसे सैकड़ों कानूनों को खत्म भी किया है. पीएम मोदी के ऐलान से लगता है कि आगे और कई पुराने पड़ चुके कानूनों को खत्म किया जा सकता है या उनमें बदलाव किए जा सकते हैं.

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