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थकान के कारण पटरियों पर सो गये मजदूर, मालगाड़ी के नीचे आए 15 मजदूर



प्रवासी मजदूरों को अपनी जान गवांकर लॉकडाउन की कीमत चुकाना पड़ रही है। सुविधाओं के अभाव में इन लोगों ने जब अपने घरों के लिए पैदल सफर शुरू किया तो कइयों को मंजिल से पहले मौत मिली। 24 मार्च से 4 मई के बीच अब तक विभिन्न हादसों में 59 मजदूरों की जान जा चुकी है। ताजा घटनाक्रम औरंगाबाद का है, जहां ट्रेन की चपेट में आने से 15 लोगों की मौत हो गई। ये लोग रेल पटरी के सहारे जालना से भुसावल जा रहे थे। 40 किमी पैदल चलने के बाद थकान के कारण ये पटरी पर बैठ गए और वहीं सो गए। इन्हें लगा कि अभी ट्रेनें बंद है, लेकिन एक मालगाड़ी ने चपेट में ले लिया। 

पीएम ने किया ट्वीट, पढ़िए रेलवे का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। वहीं रेलवे ने कहा है कि ड्रायवर ने ट्रेन रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। डेड बॉडी को औरंगाबाद के सरकारी अस्पताल में पहुंचाया गया है।

सड़क हादसों में 137 की मौत
लॉकडाउन के कारण सभी तरह का परिवहन बंद है, लेकिन फिर भी 24 मार्च से 4 मई के बीच सड़क हादसों में 137 लोगों की मौत देशभर में हुई है। सेव लाइफ फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। 4 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, इनमें 42 प्रवासी मजदूर थे। औरंगाबाद के हादसे के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 59 हो गया है।

सेव लाइफ फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मजदूरों की मौत घर लौटते वक्त रास्ते में हुई। अधिकांश को तेज गति से आ रही कार या ट्रक ने कुचल दिया। मृतकों में अधिकांश यूपी, बिहार और राजस्थान के हैं।

जरूरी सेवाओं वाले भी बने शिकार
लॉकडाउन के दौरान सड़क हादसों का शिकार होने वालों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जरूरी सेवाओं में लगे थे। जैसे कोई जरूरी दवाएं लेकर जा रहा था तो कोई सब्जी और अनाज जैसी चीजें पहुंचा रहा था।

रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के पहले दो चरण में देशभर में 596 सड़क हादसे हुए। इनमें पंजाब में सबसे ज्यादा 42 लोगों की मौत हुई। वहीं केरल में 26, दिल्ली में 18, कर्नाटक में 12, तमिलनाडु में 7 और असम में 3 लोगों की जान गई।

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