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कोरोना के संकट अर्थव्‍यवस्‍था को संभालने सरकार लेगी 'योजना बंदी' का सहारा



भोपाल । कोरोना संकट ने देश के साथ-साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। करों से आय होना लगभग बंद हो गई है। आर्थिक संकट के हालात हैं। इससे उबरने के लिए शिवराज सरकार ने रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं। इसमें 'योजना बंदी' को बड़े विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। वरिष्ठ प्रशासनिक स्तर पर इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने सभी अपर मुख्य सचिव से लेकर सचिव स्तर के अधिकारियों को नोटशीट लिखकर उन योजनाओं पर विचार कर खाका खींचने के लिए कहा है, जिन्हें बंद किया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने की भी तैयारी है। दरअसल, सरकार का पूरा फोकस अब इस बात पर है कि सिर्फ उन्हीं योजनाओं में राशि लगाई जाए, जिनका संचालन बेहद जरूरी है।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश की अर्थव्यवस्था बीते एक साल से मुश्किल दौर से गुजर रही है। जरूरी खर्चो को चलाने के लिए कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है। किसानों की कर्जमाफी के कारण दूसरी योजनाओं की राशि में कटौती की जा चुकी है। निर्माण कार्यो से जुड़े ठेकेदारों को लंबे समय से भुगतान नहीं किया तो मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना (संबल) को ठंडे बस्ते में डाला गया। राशि का इंतजाम करने के लिए शासकीय संपत्तियों को नीलाम करने की प्रक्रिया चल रही है। सरकारी संसाधनों के अलावा दूसरे स्रोतों से वित्तीय संसाधन जुटाने पर मंथन चल रहा है। आर्थिक मंदी के कारण केंद्र सरकार के स्तर पर भी राजस्व संग्रहण में कमी आई है। इसके कारण वर्ष 2019-20 के बजट पुनरीक्षण में मध्य प्रदेश को मिलने वाला केंद्रीय करों में हिस्सा 14 हजार 443 करोड़ रुपये कम हो गया।

केंद्रीय सहायता अनुदान में भी कमी आई है। कोरोना संकट के कारण केंद्र और राज्य के स्तर पर कर संग्रहण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। आर्थिक गतिविधियां ठप होने की वजह से इसके जल्द पटरी पर आने की उम्मीद भी नहीं है। इसे देखते हुए शिवराज सरकार ने मितव्ययिता को अपनाने पर जोर देने का निर्णय लिया है। इसके तहत ऐसी योजनाएं बंद की जाएंगी, जो गैर जरूरी हैं। सिर्फ उन्हीं योजनाओं पर फोकस किया जाएगा, जिन्हें संचालित करना व्यापक हित में हैं और जिससे सामाजिक सुरक्षा पुख्ता होती हो।

सूत्रों का कहना हैं कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव कार्यालय और वित्त विभाग ने सभी विभागों से ऐसी योजनाओं के बारे में बताने के लिए कहा है, जो अत्यावश्यक श्रेणी में आती हैं। वे योजनाएं कौन-सी हैं, जिन्हें बंद किया जा सकता है।

कौन-सी ऐसी नई योजना चलाई जानी चाहिए, जो कोरोना के कारण पैदा हुई स्थिति में जरूरी हैं। इनमें कितनी राशि लगेगी और कितने लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर लाभांवित होंगे। इसके साथ ही वे योजनाएं कौन-सी हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार से ज्यादा सहायता की जरूरत है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रियों और अधिकारियों के साथ होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंस में तो इन मुद्दों को उठाया ही जाएगा, मुख्यमंत्री की ओर से पत्र भी भेजे जाएंगे।

बजट में होगी कांट-छांट
सूत्रों का कहना है कि कोरोना की स्थिति नियंत्रित रही तो विधानसभा के मानसून सत्र में शिवराज सरकार का पहला बजट प्रस्तुत होगा। इसमें बड़े पैमाने पर योजनाओं में कांट-छांट की जाएगी। वित्त विभाग ने इसको लेकर काफी तैयारियां कर रखी हैं। चार समूह बनाकर बैठकें भी हो चुकी हैं। कोरोना संकट से निपटने के बाद सरकार का पूरा फोकस वित्तीय प्रबंधन पर ही रहेगा।

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