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पूर्व राजा की अंतिम यात्रा में उड़ी सोशल डिस्‍टेंसिंग की धज्जियां



कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन है. 25 मार्च से शुरू हुआ ये लॉकडाउन अब 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लोग अपने परिजनों की मौत होने पर भी घर नहीं पहुंच पा रहे हैं. अंतिम संस्कार में शामिल होने तक के लिए अधिकतम पांच लोगों की सीमा तय कर दी गई है. लेकिन ये बंदिशें शायद आम लोगों के लिए ही हैं.

राजेंद्र सिंह, सेंवढ़ा के कांग्रेस विधायक घनश्याम सिंह के भाई थे. बुधवार को ग्वालियर के सिम्स हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया था. उनका शव बुधवार को ही ग्वालियर से दतिया, उनके महल में लाया गया.

गुरुवार सुबह महाराज राजेंद्र सिंह के निवास, किला महल से राजसी परंपराओं के बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. इसमें लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग दोनों ही धज्जियां उड़ गईं.

इस अंतिम यात्रा में पूर्व मंत्री प्रियब्रत सिंह सहित करीब एक सैकड़ा लोग शामिल हुए. बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर के बाहर और बालकनी में खड़े होकर अंतिम यात्रा पर फूल बरसाकर राजेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी. हालांकि राजेंद्र सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल लोगों ने इतनी ऐहतियात बरती कि ज्यादातर लोग मास्क लगाकर ही इसमें शामिल हुए.

लाॅकडाउन के कारण परिजनों के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पा रहे आम लोग
गौरतलब है कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से ऐसी खबरें रोज सामने आ रही हैं जिनमें लोग अपने परिजनों की मौत होने पर भी घर नहीं पहुंच पा रहे हैं और कहीं बहू, कहीं बेटियां तो कहीं पड़ोसी किसी तरह अंतिम संस्कार की रस्म निभा रहे हैं.

ऐसा ही एक केस महाराष्ट्र के वाशिम का है जहां नगर निगम के कर्मचारी 56 साल के ज्ञानेश्वर जाधव की मौत हो गई. दिल का दौरा पड़ने के कारण जाधव की मौत के समय घर पर उनकी पत्नी और 22 साल की बेटी ही थे. उनका बेटा इंदौर में नौकरी करता है. लॉकडाउन के कारण उसके पहुंच पाने की संभावना न के बराबर देख बीकॉम अंतिम वर्ष की छात्रा रीमा ने पिता को मुखाग्नि दी.

वहीं, उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जब बेटे के नहीं पहुंच पाने के कारण बहू ने मुखाग्नि दी थी. जबकि उत्तर प्रदेश के ही चंदौली में अपने पति की मौत के बाद अंत्येष्टि के लिए शव लेकर जाने से गांव वालों के इनकार करने पर पत्नी ने अपने भाई के साथ ऑटो से शव ले जाकर अंत्येष्टि की थी.

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