इंदौर से कोरोना संक्रमित बंदियों को जबलपुर भेजने से मचा बवाल, प्रशासन ने लिखा पत्र
इंदौर में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से रोकने पहुंची डॉक्टरों की टीम पर हमला करने वाले आरोपित गिरफ्तारी के बाद जेल विभाग के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। रासुका की कार्रवाई पर इनमें से जिन आरोपितों को जबलपुर-सतना भेजा गया था, उनमें से तीन लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने से विंध्य में जहां राजनीतिक बवाल मचा है।
वहीं, यह भी पता चला है कि जबलपुर में जो बंदी कोरोना संक्रमित पाया गया है, उसके पिता इंदौर जेल में हैं और उनकी जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है। ऐसे में जबलपुर प्रशासन ने पत्र लिखकर कहा है कि इंदौर से बंदियों को यहां नहीं भेजा जाए।
10 जेलकर्मी क्वारंटाइन किए
इन दोनों संक्रमित बंदियों को सतना मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होने से रीवा में इलाज के लिए भेजा जा चुका है।दोनों बंदियों के संपर्क में जेल के करीब 10 लोग आए थे जिन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया है।
इंदौर से बंदी नहीं भेजने का पत्र लिखा
इंदौर से जबलपुर जेल में अब बंदियों को स्थानांतरित नहीं किए जाने के लिए शासन को पत्र लिखा है। संक्रमित बंदी की दूसरी जांच कराई जा रही है।
-भरत यादव, कलेक्टर जबलपुर
रीवा-सतना में भारी विरोध
इंदौर से लाए गए कैदियों का रीवा और सतना के नेता व आम लोग प्रशासन के निर्णय का विरोध कर रहे हैं। क्षेत्र के आठ विधायकों ने भी मांग की है कि इन्हें वापस इंदौर या भोपाल भेजा जाए।
भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात कर जिलेवासियों को यह भरोसा दिलाया है कि जल्द ही इस बारे में उचित निर्णय लिया जाएगा। लोगों का कहना है कि जब संभाग के लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन कर खुद व संभाग सुरक्षित रख रखा है, ऐसे समय पर दो कोरोना संक्रमित बंदियों को यहां लाना न्यायसंगत नहीं है। विरोधस्वरूप दवा विक्रेता संघ ने सोमवार को एक दिन के लिए मेडिकल दुकानें बंद रखीं।
सुख और सुरक्षा से खिलवाड़
जनप्रतिनिधि से परामर्श के बाद यह निर्णय लिया जाता तो रीवा संभाग में घोर विरोध की स्थिति ही नहीं बनती। अफसरों का सोच मात्र प्रशासनिक होता है। जेल के बंदियों को वहां भेजकर मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे संभाग के सुख और सुरक्षा से खिलवाड़ किया है। -कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा का ट्वीट