बाजार में गिरावट से हुआ घाटा, सोने की चमक ने चमकाया
Coronavirus के कहर के बीच दुनियाभर में मंदी की आशंका है। वहीं शेयर मार्केट के धड़ाम होने के दौरान Gold की कीमत में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। वहीं जानकारों का मानना है कि शेयर बाजार की तरह Gold गहरा धक्का नहीं देगा। Coronavirus की वजह से शेयर बाजार में गुरुवार को 2,919 अंकों की ऐतिहासिक गिरावट के बावजूद सोने के दाम कम हुए। आमतौर पर शेयर के भाव टूटने का सिलसिला जारी रहने पर Gold के भाव में तेजी देखी जाती है, लेकिन पिछले 3 दिनों से Gold के दाम में मामूली गिरावट हो रही है। दिल्ली के सराफा बाजार में Gold का दाम गुरुवार को प्रति 10 ग्राम 44,490 रुपए रहा, जबकि इस माह के दौरान Gold की कीमत 45,500 रुपए प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।
जानकारों का यह भी कहना है कि Gold के दाम ने शेयर बाजार को देखते हुए अपनी प्रतिक्रिया दे दी है। यही वजह है कि फरवरी पहले सप्ताह में 41,100 रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब रहने वाला सोना इस वक्त 44,500 रुपए के आसपास है। एक माह के दौरान Gold ने 10 फीसद का रिटर्न दिया है जबकि शेयर बाजार में 10 फीसद से ज्यादा की गिरावट आ गई। बावैश्विक निवेशक भारतीय बाजार के गिरने पर अन्य देशों के बाजार में निवेश करते हैं या फिर कच्चे तेल में संभावना तलाशते हैं।
इसलिए Gold पर है निवेशकों का भरोसा
अभी दुनिया के सभी प्रमुख बाजार गिरे हुए हैं और Coronavirus की वजह से औद्योगिक उत्पादन एवं सर्विस सेक्टर के प्रभावित होने से कच्चे तेल के दाम 30 फीसद से भी अधिक कम हो चुके हैं। ऐसे में, निवेशक Gold को ही सबसे सुरक्षित मान सकते हैं। लेकिन Gold के दाम में फिलहाल उतार-चढ़ाव इसलिए बना रहेगा क्योंकि विश्व स्तर पर Coronavirus की वजह से नकारात्मक रुख है। निवेशक दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में तेजी की संभावनाओं पर नजर रख रहे हैं। वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान भी बाजार में 1,400 अंकों की गिरावट देखी गई थी और उस दौरान भी Gold के दाम में बढ़ोतरी का ही रुख रहा था। तब Gold 11,500 से 12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर टिका रहा।
आगे क्या करें, पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च प्रमुख जोसफ थॉमस के मुताबिक, इस गिरावट के दौर में जिन लोगों ने चरणबद्ध तरीके से निवेश किया है उन्हें भी झटका लगा होगा। लेकिन लंबे समय में उन लोगों पर निश्चित रूप से इसका कम असर होगा। निश्चित रूप से यह समय लंबे समय को ध्यान में रखते हुए पोर्टफोलियो तैयार करने का है।