गीता किशोरावस्था और युवावस्था में पढ़ने का ग्रंथ
उज्जैन। मरते समय गीता सुनाने का प्रचलन चलने से गीता की महत्ता कुछ कम हुई है। गीता तो किशोरावस्था और युवावस्था में पढ़ने का ग्रंथ है। भ्रांतिवश युवा गीता के ज्ञान से वंचित हैं।
यह उदगार दामोदर प्रसाद लवानिया ने बैकुंठ धाम संत नगर में गायत्री परिवार के गीता स्वाध्याय मंडल द्वारा आयोजित गीता जयंती समारोह में व्यक्त किए। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संत श्यामदास महाराज ने कहा कि गीता का उपदेश जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था तब हजारों सूर्य के समान प्रकाश फैला था। गीता का योगत्रय ज्ञान, कर्म और भक्ति योग मानव जीवन की सर्वांगीण उन्नति के सुलभ पथ है। आयोजन का संचालन बानप्रस्थी रमेशचंद्र लेवे ने किया आभार जगदीश व्यास ने माना।