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नारी शक्ति की जीवन्त मिसाल हैं शहर की डॉ.सुमन मेहता और उनकी बेटी सुरभि



मां ने दिव्यांग बच्चों की सेवा के लिये छोड़ी बैंक की नौकरी, वहीं जन्म से डॉन सिंड्रोम से पीड़ित बेटी सुरभि है बहुप्रतिभावान
उज्जैन | कौन कहता है नारी कमजोर होती है, नारी से ज्यादा शक्ति किसी में नहीं होती। नारी शक्ति की ऐसी ही जीवन्त मिसाल हैं शहर की डॉ.सुमन मेहता और उनकी 16 वर्षीय बेटी सुरभि। डॉ.सुमन शहर के नानाखेड़ा महाकाल वाणिज्यिक केन्द्र में स्थित सुरभि हैप्पी होम की संचालक हैं। सुरभि सुमन वेलफेयर फाउंडेशन शासन द्वारा पंजीकृत संस्था है, जो मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिये कार्य करती है। आखिर क्या वजह थी कि बैंक में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत डॉ.सुमन मेहता ने सेवा से वीआरएस लेकर इस संस्था का निर्माण किया। इसके पीछे की वजह का जब पता चला तो यह बात साबित हो गई कि नारी से ज्यादा सहन शक्ति किसी में नहीं हो सकती।
    डॉ.सुमन मेहता बताती हैं कि वे जब पांच से छह साल की थी, तो उन्हें लगातार एक महीने तक तेज बुखार था, जिसकी वजह से उनके पैर की हड्डियां अपने स्थान से खिसक गई थी। इसे ठीक करने के लिये उनके दो से तीन ऑपरेशन हुए, लेकिन वे सफल नहीं हो पाये। बस यहीं से श्रीमती मेहता के संघर्षों का सिलसिला शुरू हो गया था, जो आज भी जारी है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
    श्रीमती मेहता को चलने-फिरने में बहुत दिक्कतें आती थी, लेकिन वे पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थी। उनका पढ़ाई में विशेष लगाव था, इसीलिये चलने-फिरने में तकलीफ होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। अपनी इसी जिद और लगन की वजह से उन्होंने ग्रेजुएशन करने के बाद अंग्रेजी साहित्य और अर्थशास्त्र में एमए किया। उन्हें राजगढ़ में शासकीय महाविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी मिल रही थी, परन्तु उनके माता-पिता उन्हें शहर से दूर नहीं भेजना चाहते थे। बाद में श्रीमती मेहता को बैंक में नौकरी मिल गई। श्री राजेश मेहता जो हैदराबाद में प्रायवेट कंपनी में नौकरी करते थे, से विवाह होने के पश्चात सितम्बर-2003 में जब बेटी सुरभि का जन्म हुआ तो पता चला कि वह डॉन सिंड्रोम से ग्रस्त थी। इस स्थिति में बच्चे का मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तरह नहीं हो पाता है। सुरभि जब छह माह की थी, तब उसके पेट में एक गठान भी हो गई।
    इतनी तकलीफें आने के बावजूद श्रीमती मेहता और उनके पति ने यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वे अपनी बेटी की परवरिश में दिन-रात एक कर देंगे और इस लायक बनायेंगे कि वह जीवन में कुछ बन सके। बच्ची की परवरिश के दौरान श्रीमती मेहता को यह एहसास हुआ कि सुरभि जैसे और न जानें कितने बच्चे होंगे, जिनके माता-पिता सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक कारणों से उनकी परवरिश नहीं कर पाते होंगे। ऐसे बच्चों का विकास सही तरीके से हो सके, इस मकसद से उन्होंने संस्था का निर्माण करने के बारे में सोचा।
    समाज सेवा के इसी जज़्बे के कारण श्रीमती मेहता की मेहनत रंग लाई। वर्तमान में उनकी संस्था में 15 बच्चे हैं। वहीं सुरभि की परवरिश में भी उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी। श्रीमती मेहता बताती हैं कि जब ईश्वर कोई कमी देता है तो दूसरी तरफ विशेष बच्चों में कई प्रतिभाएं भी देता है, जिन्हें बस परखने की देर होती है। सुरभि भी बहुप्रतिभाओं की धनी है। वर्तमान में सुरभि ने 10वी कक्षा उत्तीर्ण की है। सुरभि की पढ़ाई-लिखाई विशेष स्कूल की बजाय सामान्य स्कूल में हुई है। इसके अलावा उसे नृत्य, चित्रकला और विभिन्न खेलों में भी रूचि है। हाल ही में 3 दिसम्बर को विश्व दिव्यांग दिवस पर सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा सुरभि को जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता, थ्रो बाल, ड्राइंग प्रतियोगिता और 50 मीटर रेस में सहभागिता करने पर पुरस्कार और प्रमाण-पत्र दिया गया है।
    श्रीमती मेहता कहती हैं कि डांस में विशेष रूचि होने के कारण वे इसी क्षेत्र में सुरभि का कैरियर बनाना चाहती हैं। श्रीमती मेहता और सुरभि उन सबके लिये प्रेरणा है, जो जीवन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा रखते हैं। इन्होंने यह साबित कर दिया है कि ठान लेने पर कुछ भी असंभव नहीं रहता है।

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