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88 लावारिस लाशों में 83 अब भी गुमशुदा



समाजसेवी अनिल डागर ने 11 महीने में उठाई 88 लावारिस लाशें, 5 की शिनाख्त हुई तो गड्ढे से खोदकर निकाला
उज्जैन। लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले समाजसेवी अनिल डागर ने इस वर्ष 11 महीनों में 88 लावारिस लाशें उठाई तथा उनका अंतिम संस्कार भी करवाया। इनमें 5 लावारिस लाशें ऐसी थी जिन्हें गाढ़ दिये जाने के बाद उनकी शिनाख्त हुई तो उन्हें गड्ढे से खोदकर निकाला गया और उनका अंतिम संस्कार हुआ। महज फोन पर सूचना मिलते ही लावारिस लाश उठाने पहुंचने वाले बिलोटीपुरा निवासी समाजसेवी अनिल डागर अब तक हजारों लावारिस लाशों का क्रियाकर्म कर चुके हैं। 
अनिल डागर के अनुसार वर्ष 2019 के प्रारंभ से अब तक महाकाल थाना क्षेत्र में 26, जीआरपी से 18, नानाखेड़ा थाना क्षेत्र से 5, चिमनगंज मंडी थाना 11, देवास गेट थाना 5, नीलगंगा थाना 8, कोतवाली थाना 3, खाराकुआ थाना 2, माधवनगर थाना 4 के अलावा नागझिरी, इंगोरिया, खाचरौद, घटिया, कायथा, जीवाजीगंज थाना क्षेत्र से 1-1 लावारिस लाश उठाई। 88 लावारिस लाशों में से 5 की शिनाख्त हुई तथा 82 अब तक गुमनाम हैं, करीब डेढ़ दर्जन की मौत डूबने से हुई तथा 8 जीआरपी थाना क्षेत्र के मामले हैं जो ट्रेन से कटकर मरे। इनमें हत्या, आत्महत्या के मामलों के साथ 5 भ्रुण हत्या के मामले हैं जिनका गर्भ में ही गला घोंटकर फैंक दिया गया। 
35 साल से कर रहे सेवा
अनिल डागर के अनुसार बचपन में ही 13-14 वर्ष की उम्र में श्मशान घाट पर निर्मित विद्युत शवदाह गृह में लाशें जलाने में सहयोग किया करते थे, इसी दौरान चक्रतीर्थ पर एक साधु से मुलाकात हुई। साधु ने शिप्रा किनारे पड़ी लावारिस अधजली लाश की ओर इशारा कर जलाने और पुण्य कमाने के लिए प्रेरित किया, तब से यह सिलसिला जारी है। 
धर्म अनुसार अंतिम संस्कार, मुक्तिभोज भी कराते हैं
अनिल डागर के अनुसार लावारिस लाशों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि धर्म के लोग होते हैं। पुलिस द्वारा शिनाख्त के बाद इनका क्रियाकर्म धर्म के अनुरूप कराया जाता है, वहीं लावारिसों के क्रियाकर्म के बाद श्राध्द में मोक्ष संस्कार व ब्राह्मण भोज भी कराते हैं। लावारिस शवों के मोक्ष के लिए वर्ष में एक बाद चारों धाम की यात्रा कर उनकी आत्मशांति की प्रार्थना करते हैं। 

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