तेलंगाना, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगला, छत्तीसगढ़ और कश्मीरी हस्तशिल्प सामग्री से गुलजार रहा जिला पंचायत का हस्तशिल्प मेला - अखिलेश उपाध्याय
उज्जैन | जिला पंचायत उज्जैन द्वारा इस वर्ष 8 नवम्बर से लेकर 18 नवम्बर तक 11 दिवसीय हाथकरघा एवं हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया गया। सोलह साल से लग रहे इस मेले का इन्तजार न केवल उज्जैन निवासी, बल्कि आसपास के रहने वाले लोग बड़ी उम्मीद से करते हैं। इस मेले से आसपास के जिले के स्व-सहायता समूहों की भी इच्छाएं अब जुड़-सी गई हैं। उज्जैन जिले एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों के स्व-सहायता समूह सामग्री लाकर इस मेले में अच्छी-खासी बिक्री कर लेते हैं। इस बार का हस्तशिल्प मेला तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिम बंगला, छत्तीसगढ़ एवं कश्मीरी हस्तशिल्प सामग्रियों से अटा पड़ा था। उज्जैन नगर के निवासियों ने अपनी इच्छित सामग्री की जमकर खरीददारी की। ग्यारह दिनों के मेले में दो करोड़ रुपये से अधिक का व्यवसाय हुआ।
इस वर्ष आयोजित हस्तशिल्प मेले में मध्य प्रदेश सहित 16 राज्यों के 190 शिल्पियों, 17 स्व-सहायता समूहों, 35 बुनकर समितियों एवं एक हाथकरघा क्लस्टर क्लब, तीन औद्योगिक सहकारी समितियों ने अपने स्टाल लगाये। यही नहीं ग्रामीण उद्यमियों में 42 खानपान के स्टाल भी लगाकर व्यवसाय किया। इस मेले में मालवा की धरती पर सम्पूर्ण देश के रंग बिखरे पड़े थे। इन्होंने न केवल अपनी सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया, बल्कि वहां के रहन-सहन व खानपान के दर्शन भी करवाये। मेले में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के कोसा के उत्पाद, राजस्थान से नगदा शिल्प एवं मोजड़ी, पंजाब से फुलकारी सूट, पटियाला से पटियाला मोजड़ी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी। उत्तर प्रदेश से वुडन क्राफ्ट एवं लखनवी चिकन के कुर्ते व साड़ी, गुजरात से गुजराती वस्त्र व ज्वेलरी, राजस्थान से टेराकोटा, आन्ध्र प्रदेश से सूती वस्त्र, हैदराबाद से हैदराबादी मोती, कच्छ भुज की ऊनी शालें लोगों ने बड़े चाव से खरीदी।
हस्तशिल्प मेले में मध्य प्रदेश के हस्तशिल्प एवं हाथकरघा का प्रदर्शन भी कहीं से कमजोर नहीं था। प्रदेश के चन्देरी, महेश्वरी साड़ियां, बाग के बटिक वस्त्र, राजगढ़ पड़ाना की बेडशीट तथा स्व-सहायता समूहों के लेदर शिल्प, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, खजुर शिल्प आदि ने भी अपनी धूम मचाई। हाथ करघा एवं हस्तशिल्प मेले का आयोजन कालिदास अकादमी परिसर में कालिदास समारोह के समानान्तर किया जाता है। इस मेले के साथ-साथ लोगों ने देश-विदेश से आये कलाकारों द्वारा प्रस्तुत साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी देर रात तक आनन्द लिया। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री नीलेश पारिख बताते हैं कि मेले के आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत स्वरोजगारियों एवं शिल्पियों के उत्कृष्ट उत्पादों पर उचित प्लेटफार्म पर प्रदर्शित कर बाजारोन्मुखी बनाने एवं शिल्पियों को बाजार की तकनीकों एवं रणनीतियों से अवगत कराना है।