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हमारी कविता का उद्देश्य लोकमंगल का होना चाहिये- डाॅ. अवधेशपुरी महाराज



उज्जैन। किसी भी कवि अथवा लेखक की लेखनी में समाज की दिशा एवं दशा को परिवर्तित करने की अद्भुत क्षमता होती है। समस्त कवियों एवं लेखकों का परम कर्तव्य है कि उनकी कविताओं एवं लेखों का उद्देश्य लोकमंगल का होना चाहिये।
उपर्युक्त उद्गार क्रांतिकारी संत परमहंस डाॅ. अवधेशपुरी महाराज ने गीतांजली साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय उद्बोधन में अवधेशाम में व्यक्त किये। इस अवसर पर भागवताचार्य अनुप्रिया अनुराधा एवं पूर्व विधायक तराना रोडूमल राठौर विशेष रूप से उपस्थित थे। संस्था अध्यक्ष डीपी शर्मा, गौरीशंकर उपाध्याय, ओमप्रकाश शर्मा, अखिलेश चवरे, डाॅ. अखिल चैरे, अशोक शर्मा, शैलेन्द्र वर्मा, सत्यनारायण नाटानी, आनंद, गोविंद राम, गोपाल ढपलीवाले, अनुज पांचाल, अनुज, शिवम शर्मा आदि कवियों ने वर्तमान के ज्वलंत विषयों पर कविता पाठ किया। संचालन अनिल पांचाल ने किया एवं आभार संस्था अध्यख डीपी शर्मा ने माना।

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